मंदिर से ज्यादा जरूरी है शहीदों का मंदिर बनाना – महामंडलेश्वर स्वामी

शहीद के परिजनों के सुख दुख का ख्याल रखना हमारा कर्तव्य है – सूचना आयुक्त

गाजीपुर। अपने अदम्य साहस के बल पर, 1971 भारत-पाक युद्ध में पाक सेना के तीन बंकरों को नेस्तनाबूद कर चौथे बंकर के साथ स्वयं को उड़ाने वाले गाजीपुर की बलिदानी धरा के लाल लांस नायक महावीर चक्र विजेता शहीद रामउग्रह पांडेय का 50वां बलिदानी दिवस ससमारोह सम्पन्न हुआ।
     जखनियां तहसील क्षेत्र में, उनके पैतृक गांव एमावंशी के शहीद स्मारक पर जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर और सिद्धपीठ हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर स्वामी भवानीनंदन यति महाराज की अध्यक्षता में आयोजित समारोह मे 8 गार्ड रेजीमेंट से कैप्टन अमित गोस्वामी बीकानेर व 39 जीटीसी वाराणसी छावनी लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष ध्यानी द्वारा पुष्प चक्र अर्पित कर तथा सशस्त्र सेना के जवानों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर देकर श्रद्धांजलि दी गयी।


       मुख्य अतिथि राज्य सूचना आयुक्त किरण बाला चौधरी ने अपने उद्बोधन में शहीदी धरती का नमन करते हुए कहा कि देश में हम तभी सुरक्षित हैं जब सीमा पर सेना के जवान हमारी रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं। ऐसे में उनके परिजनों के सुख दुख का ख्याल रखना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने शहीद परिवार के सुख-दुख के बाबत सदैव तत्पर रहने का आश्वासन दिया।
     विशिष्ठ अतिथि, पिछड़ा वर्ग आयोग उ.प्र.के उपाध्यक्ष प्रभुनाथ चौहान ने कहा कि गाजीपुर की बलिदानी धरती का राष्ट्र के लिए मर मिटने का इतिहास रहा है और शहीदों का स्मारक किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है। सेना के जवानों के परिजनों का सम्मान करने से हम उन जवानों को ऊर्जावान कर सकते हैं।
      सहकारिता राज्य मंत्री संगीता बलवंत ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सेना के जवानों की बदौलत ही हम देश में चैन से रहते हैं। शहीदों ने  देश की रक्षा के साथ ही तिरंगे की रक्षा किये हैं। प्रधानमंत्री के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि अब यह देश विकासशील देश से अब विकसित देश की ओर जा रहा है।
    अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में सिद्धपीठ हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज ने कहा कि देश की रक्षा के लिए सीमाओं पर अपनी जान की बलिदानी देने वाले शहीदों का स्थान इस देश में सर्वोच्च है। शहीद परिवार राष्ट्र की संपत्ति होती हैं इनको सम्मान देना हम सबका कर्तव्य है। भारत माता का बोझ इन्हीं जवानों के कंधों पर है। आज मंदिर से ज्यादा शहीदों का मंदिर बनाना जरूरी है क्योंकि यहां से देश की जवानों को अतिरिक्त ऊर्जा का संचार होता है। उन्होंने उपेक्षित पड़े शहीद स्मारक को सजाने संवारने हेतु क्षेत्रीय जनता का आह्वान करते हुए स्वयं पूर्ण कराने का आश्वासन दिया। इससे पूर्व महामंडलेश्वर स्वामी द्वारा सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया।
       इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रचारक डॉ सुरेश,काशी प्रांत सह संयोजक डा. संतोष यादव, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद विभाग संयोजक रत्नेश जी, आरएसएस प्रचारक कमलेश प्रणामी, विजेंद्र राय, डॉ रत्नाकर त्रिपाठी, एसडीएम जखनिया वीर बहादुर यादव, नायब तहसीलदार जयप्रकाश,विनोद पाण्डेय, शहीद पुत्री सुनीता पांडेय, कोतवाल भुड़कुड़ा शिव प्रताप वर्मा, सतीश सिंह मंटू, डॉ. भुल्लन सिंह,डा.बदरुद्दीन शास्त्री, रामराज बनवासी  सहित काफी संख्या में गणमान्यजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन व आभार ज्ञापन अखिल भारतीय समाज सेवा समिति अध्यक्ष श्रीराम जायसवाल ने किया।

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