ससमारोह मना स्वामी सहजानन्द सरस्वती का परिनिर्वाण दिवस

गाजीपुर। किसान आंदोलन के प्रणेता एवं भारतीय किसान संघ के प्रथम अध्यक्ष परमहंस दंडी स्वामी सहजानंद सरस्वती का परिनिर्वाण दिवस दुल्लहपुर तथा उनके निवास स्थान देवा में समारोह पूर्वक मनाया गया। दुल्लहपुर में प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम के आयोजक भाजपा नेता अनिल पांडेय के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में लोग सुबह स्वामी सहजानंद सरस्वती की दुल्लहपुर स्टेशन पर स्थापित प्रतिमा के पास पहुंचे साफ सफाई के पश्चात कोविड-19 की नियमों का पालन करते हुए मलयार्पण पुष्पार्चन कर परिनिर्वाण दिवस मनाया।
  पूर्व व्यापार मंडल अध्यक्ष राजेश उर्फ पप्पू मद्धेशिया की तरफ से सैकड़ों लोगों को माक्स का वितरण किया गया। इस संबंध में अनिल कुमार पांडेय ने कहा योग बैरागी और वेदांत के साथ काल पुरुष थे। स्वामी सहजानंद सरस्वती महात्मा गांधी की दांडी आंदोलन के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वामी सहजानंद सरस्वती पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मिलकर किसानों की समस्या को बुलंदी के साथ रखा। स्वामी सहजानंद सरस्वती अपना कर्म स्थल बिहार के बिहटा में बनाया, वहां बड़ा आश्रम और शोध संस्थान भी स्थापित है। स्वामी सहजानंद सरस्वती लिखित किसान की पीड़ा पर कई पुस्तकें प्रकाशित हैं उन्होंने कहा था जब हम भगवान की खोज में हिंदुस्तान के वनों, जंगलों और पहाड़ों में घूमने का काम किए लेकिन भगवान में सच्ची आस्था रखने वाले किसी के अंतर्मन में में निवास करते हैं तो वह है हिंदुस्तान का किसान और किसान ही देश का भगवान है।
    बताया गया कि ग्रामपंचायत देवा में जन्मे स्वामी जी बाल काल से ही कुशाग्र बुद्धि के धनी थे। जलालाबाद के जूनियर हाई स्कूल की परीक्षा टॉप करने के पश्चात हाई स्कूल की परीक्षा में प्रथम स्थान लाने वाले परिव्राजक सन्यासी ने किसानों की लड़ाई में अपनी पूरी जिंदगी आहूत कर दिया।
    ग्राम प्रधान प्रतिनिधि देवा दीपक चौरसिया ने स्वामी सहजानंद के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर उपस्थित पत्रकारों को अंग वस्त्रम देकर स्वामी जी द्वारा सम्मानित कराया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे दंडी स्वामी अनंतानंद सरस्वती ने कहा कि स्वामी जी महाराज किसानों के लिए दिन रात एक किए हुए थे। वह किसानों को ही अपना भगवान मानते थे। किसानों के लिए उन्होंने घर को त्याग कर सन्यास ले लिया धन्य थे स्वामी सहजानंद सरस्वती जी और धन्य हैं देवा गांव के लोग जो दंडी स्वामी कि गांव में निवास करते हैं। मैं भी अपने को धन्य समझता हूं कि हर बार उनके परिनिर्वाण दिवस के दिन तथा जन्म दिवस के दिन आकर यहां की धरती को नमन कर लेता हूं। वीरभद्र राय ने कहा कि किसानों में जो भाव स्वामी सहजानंद ने जगाया उससे जुल्म के खिलाफ तथा अपने हक के लिए संगठित तौर पर आवाज उठाने की हिम्मत किसानों में पैदा हुई।  बिहार के सेमरी से आये हुए वशिष्ठमुनि पांडेय ने कहा स्वामी जी भले ही गाजीपुर के देवा गांव में जन्म लिए थे लेकिन वे पूरे देश में किसानों के हक के लिए लड़ाई लड़ा तथा किसानों को जगाने का काम किया। स्वामी सहजानंद सरस्वती हमारी धरती पर एक जादुई नाम है। भारत के किसान आंदोलन के बीच वे सर्वोपरि नेता हैं। आज के समय में जनता के आराध्य देव एवं लाखों की हीरो रामगढ़ के समझौता विरोधी सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में इन्हें प्राप्त करना हम लोगों के लिए वाकई एक दुर्लभ भाग्य की बात है। फारवर्ड ब्लाक के लिए यह एक गौरवपूर्ण विशेषाधिकार है। सम्मान की बात कि हम इन्हें वामपंथ के सबसे अग्रणी नेता मित्र दार्शनिक एवं पथ प्रदर्शक के रूप में प्राप्त कर सके। स्वामी जी सिख पंचों के भीतर है पर उन्होंने हमें उनसे जीवन संघर्ष और बलिदान का सबक सीखना चाहिए। समाजवाद की उनकी गंभीर राजनीतिक अंतस चेतना में सबक लेना चाहिए। शारदा नंद राय ने कहा कि किसानों के मसीहा स्वामी सहजानंद सरस्वती का किसानों के प्रति जो सहयोग और किसानों के हक दिलाने के लिए कोशिश किया गया। स्वामी सहजानंद सरस्वती के द्वारा 1927 में किसान सभा की स्थापना की गई सबसे पटना जिले की आश्रम से किसान सभा की स्थापना की तथा जालिम जमींदारों से लड़ने की क्षमता को जागरूक किया था। उस समय डॉक्टर श्री कृष्ण को जनरल सिक्योरिटी, पंडित यमुना, गुरु सहाय एवं कैलाश बिहारी लाल को डिविजनल सेक्रेटरी बनाया था। स्वामी सहजानंद सरस्वती किसान सभा का सभापति मनोनीत किए गए थे, उस समय किसान सभा कांग्रेसका ही सहयोगी संगठन था जो आगे चलकर भारतीय कांग्रेस पार्टी से अलग हो गया। किसानों में जो भाव जगाया उससे जुल्म के खिलाफ तथा अपने हक के लिए संगठित और आवाज उठाने की हिम्मत किसानों में पैदा हुई।
    इस मौके पर दुल्लहपुर ग्राम प्रधान हरिओम मद्धेशिया, रामप्यारे यति, अभिषेक चौबे, मनजीत मद्धेशिया, सुनील दुबे, रामजी वर्मा, रामानंद, रामविलास चौहान, दिनेश चौबे, विजय प्रताप, संजय चौहान, अजय पांडेय, पप्पू राय, अरविंद राय सुरेश राय, जगदीश राय आदि लोग उपस्थित रहे।    रिपोर्ट संजय चौबे        

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