स्वस्थ जीवन के लिए पर्यावरण संरक्षण जरूरी

गाजीपुर। स्वस्थ रहने हेतु मानव आदि काल से प्रकृति पर निर्भर रहा है। आज भी प्राकृतिक पर्यावरण का जीवन से अटूट संबंध है। जीवन को सुचारु ढंग से चलाने के लिए पर्यावरण संवर्धन व विकास की नितांत आवश्यकता है।
   उक्त वक्तव्य अखिल भारतीय हिन्दी महासभा के काशीप्रांत के मीडिया प्रभारी डा.ए.के.राय ने विश्व पर्यावरण दिवस पर व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हरे भरे वनों से आच्छादित और श्रृंगारित वसुंधरा पक्षियों के कलरव, कल-कल करती नदियों तथा विभिन्न प्रजातियों के जीव जंतुओं को अपनी असीम ऊर्जा से संरक्षित करती रही है। ऋषियों के गुरुकुल तथा आश्रम प्राचीन समय में प्राकृतिक वातावरण से भरपूर वन क्षेत्र में हुआ करते थे। युग परिवर्तन के साथ जैसे-जैसे मानव का विकास होता गया वैसे-वैसे विकास के नाम पर मानव ने आधारभूत व्यवस्था में परिवर्तन करना शुरु कर दिया। आरंभ में पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर रहने वाला मानव तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या की जरुरतों को पूरा करने तथा अपने आधुनिक विकास हेतु प्रकृति से खिलवाड़ शुरु कर दिया।
   आधुनिकता की चाह में मानव ने वन विनाश, खनिज दोहन, भूमिगत जल दोहन, अनावश्यक उर्जा उपयोग तथा प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर प्रकृति को अपने ढंग से परिवर्तित किया जिससे वैश्विक तापन, पर्यावरण प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण,ओजोन परत क्षरण जैसी अनेकों समस्याएं आज मानव के समक्ष सुरसा की भांति मुंह फैलाये खड़ी हैं, जिससे आज समस्त मानव जाति के समक्ष बढ़ते पर्यावरणीय ताप के कारण जीवन का संकट उत्पन्न होता जा रहा है। आज वैश्विक महामारी के रूप में कोविड 19 सुरसा की भांति मुंह फैलाये मानव को निगलने के लिए तैयार खड़ी है। कोरोना की पहली लहर ने गत वर्ष जो तबाही मचाई थी,उसका घाव अभी भरा भी नहीं कि इस वर्ष कोरोना की दूसरी लहर ने देश में हाहाकार मचा दिया। देश में मरीजों के लिए आक्सीजन का अकाल पड़ गया। आक्सीजन की कमी के चलते कोरोना के प्रभाव में आकर हजारों मरीजों ने दम तोड़ दिया।
     इतना सबकुछ होते हुए भी आधुनिकीकरण की अंधी दौड़ में आज विकासशील मानव अपनी महत्वाकांक्षा को पूर्ण करने के लिए सुंदर प्राकृतिक उपादानों का दोहन कर रहा है। इससे बचने के लिए अब सार्वजनिक स्थानों पर पीपल बरगद,नीम व अन्य बड़े वृक्षों की संख्या बढ़ाने हेतु वृक्षारोपण और उनका संरक्षण कर बसुंधरा को हरा भरा बनाने में सहयोग करना होगा, तभी पर्यावरण सुरक्षित हो सकेगा।

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