ग्रहण ! वर्ष का पहला चन्द्रग्रहण आज

वाराणसी । हिंदू पंचांग के अनुसार, सम्वत 2078 में कुल चार ग्रहण के योग हैं। इनमें दो सूर्य ग्रहण तथा दो चन्द्र ग्रहण होंगे। दोनों चन्द्र ग्रहण हिन्दुस्तान के पूर्वोत्तर क्षेत्र में अत्यन्त कम समय के लिए दिखेंगे।
      इस सम्वत का पहला ग्रहण चंद्र ग्रहण है जो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि अर्थात 26 मई 2021 दिन बुधवार को होगा। इसी के साथ आज के दिन ही बुद्ध पूर्णिमा भी मनायी जायेगी। मान्यता है कि इसी दिन भगवान बुद्ध का अवतरण हुआ था्वर्ष 2021 का पहला ग्रहण, उपच्छाया चंद्रग्रहण होगा। उपच्छाया चंद्र ग्रहण में सूतक काल नहीं मान्य होता है।
      यह चन्द्र ग्रहण 26 मई को 3 बजकर 15 मिनट से आरम्भ होगा और मोक्ष संध्या 6 बजकर 23 मिनट पर होगा। भारत में यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण के तौर पर ही दिखाई देगा।
     खगोलविदों के अनुसार, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य की पूरी रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती है और उसे चंद्रग्रहण कहते हैं। जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं तो चंद्रग्रहण की स्थिति होती है। चंद्रग्रहण सदैव पूर्णिमा की रात में ही होता है।
   वहीं धर्मावलंबियों के अनुसार,उपछाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।यही कारण है कि इस उपछाया चंद्र ग्रहण में सूतक काल नहीं होगा। सूतक काल मान्य न होने के कारण न तो मंदिरों के कपाट बंद होंगे और न ही पूजा-पाठ वर्जित होगी। वुद्ध पूर्णिमा को होने वाली सारे धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होंगें।
      यह चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगेगा अर्थात यही राशि व नक्षत्र अधिक प्रभावित होंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,27 नक्षत्रों में अनुराधा नक्षत्र का 17वां स्थान होता है और अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं। गत 23 मई को शनि वक्री हुए थे। वहीं वृश्चिक राशि के जातक मंगल हैं जिन्हें सेनापति कहा गया है।
ग्रहण काल में ईश आराधना करनी चाहिए और मोक्ष काल के बाद स्नान कर दान करना चाहिये।    

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