दाव पेंच ! उच्च न्यायालय के आदेश के बाद गांव में पहुंची जांच टीम, जांच से ग्रामीण दिखे असन्तुष्ट

आवास के नाम पर प्रधान के घूस मांगने का वीडियो सामने आने पर प्रभारी मंत्री ने भी दिया था जांच के आदेश

गाजीपुर। केन्द्र व प्रदेश सरकार की जनोपयोगी योजनाएं जनपद के बाराचवर ब्लॉक की ग्राम पंचायत टोड़रपुर में उपेक्षा का शिकार होकर रह गयी हैं।
सरकार की महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत बने शौचालय एवं पीएम व सीएम आवास योजना में भ्रष्टाचार रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। जब इन पर जिले के जिम्मेदार अधिकारी सुधि नहीं लीए तो ग्रामीण जनों ने न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाया।
न्यायपालिका के आदेश पर अधिकारियों की तंद्रा टूटी और ग्राम प्रधान मुन्ना राजभर के द्वारा कराए गए विकास कार्यों की जांच जिलाधिकारी द्वारा नामित जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी नरेन्द्र विश्वकर्मा ने 11 जनवरी 2021 को किया।
बताते चलें कि यह जांच ग्राम पंचायत के रजनीश मिश्रा के उच्च न्यायालय में लगातार रिट दाखिल करने के बाद सम्भव हुई। न्यायालय ने जांच के आदेश जुलाई 2020 में ही दिए थे। प्रशासनिक हिलाहवाली के चलते लटकती रही। ग्रामीणों की मानें तो जांच को रोकने का प्रयास करते हुए ग्राम सचिव द्वारा अभिलेखों को जांच अधिकारियों को नहीं सौंपा जा रहा था। जिसके बाद कई बार शिकायतकर्ता की शिकायत करने के बाद यह जांच मात्र कुछ ही बिंदुओं पर की गई है। जिसमें खड़ंजे, हैण्डपम्प रिबोर, सोलर लाइट आदि की जांच शामिल रही जिसमें धांधली पायी गयी। इस जांच में ऐसे कार्य सामने आये, जिसको ग्राम प्रधान ने माना कि उसने कार्य नहीं कराया है। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर उस मद की धनराशि का पैसा कहाँ गया? जांच के दौरान मीडिया टीम ने देखा कि कई स्थानों पर अभिलेखों में छेड़छाड़ किया गया। मसलन व्हाइटनर का प्रयोग कर नाम व जगह में बदलाव दिखा। वहीं गांव में दर्शायी सोलर लाइटों में एक ऐसा भी मिला जहां सोलर लाइट के बदले वहां सिर्फ सोलर लाइट का पाइप लगाया गया था।
जांच अधिकारी नरेंद्र विश्वकर्मा ने मीडिया से वार्ता में कहा कि हम जांच के बाद सबका मिलान करेंगे और फिर निर्णय कर जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेंगे।
वैसे गांव के लोग इस जांच से संतुष्ट नहीं दिखे। उनका कहना था कि आये हुए जाँच अधिकारी जांच के नाम पर लीपापोती कर रहे हैं।शिकायतकर्ता रंजीत मिश्रा ने कहा कि वह इस जांच से असंतुष्ट हैं। वह इस मामले को लेकर फिर से हाईकोर्ट का रुख करेंगे। इसी क्रम में जब मीडिया ने ग्रामप्रधान मुन्ना राजभर से बात करनी चाही तो उन्होंने कहा कि उसने पूरा कार्य कराया है बल्कि प्राप्त धन से अधिक का विकास कराया है। इसके बाद ग्राम प्रधान ने मीडिया के सवालों का कोई जबाब नहीं दिया और भागने लगे।
उल्लेखनीय है कि यह वही ग्राम प्रधान मुन्ना राजभर है, जिसने आवास के नाम पर गांव की ही एक महिला से घुस मांगा था और उसका वीडियो भी वायरल हुआ था। जिसके बाद प्रदेश सरकार के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल को भी गांव में ग्रामीणों के बीच जाकर कार्यवाही का आश्वासन देना पड़ा था।
उक्त जांच में जांच अधिकारी के साथ तकनीकी सहायक त्रिभुवन शर्मा, ग्राम सचिव मुकेश सिंह, शिकायतकर्ता रंजीत मिश्र के साथ बरेसर थाना पुलिस व सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे।

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