सावित्रीबाई फुले का जीवन चरित्र अनुकरणीय

प्रथम महिला शिक्षिका एवं स्त्री शिक्षा की अलख जगाने वाली सावित्रीबाई फुले के जन्म दिवस पर संगोष्ठी सम्पन्न

गाजीपुर। राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, में भारत की प्रथम महिला शिक्षिका एवं स्त्री शिक्षा की अलख जगाने वाली सावित्रीबाई फुले के जन्म दिवस पर संगोष्ठी सम्पन्न हुई।
कार्यक्रम का शुभारंभ सावित्रीबाई फुले के चित्र पर प्राध्यापको, छात्राएं एवं परिसर में रहने वाले सभी शिक्षकों के पारिवारिक सदस्यों द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित कर किया गया।
डॉ संतन कुमार राम ने सावित्रीबाई फुले के जीवन एवं संघर्ष को रेखांकित करते हुए कहा कि सावित्रीबाई फुले के जीवन में ज्योतिबा के साथ-साथ उनकी मौसी सगुनाबाई एवं उनकी सहेली फातिमा शेख का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज जरुरी नहीं कि सब लोग सावित्रीबाई फुले ही बने लेकिन उनके विचारों का अनुशरण करते हुए हमें शिक्षा की ज्योति को जलाए रखना होगा। वहीं प्रिया निरंजन ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आधुनिक भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के सामने जो कठिन चुनौतियां थी उन सब का सामना करते हुए उन्होंने अपनी राह बनाई थी। आज हम सब एक समस्या से ही घबरा जाते हैं जबकि उनके सामने एक साथ अनेकानेक समस्याएं थी। उन्होंने दुनिया समाज की परवाह किए बगैर अपने लक्ष्य पर अडिग थी। ज्यों-ज्यों उनके जीवन में संघर्ष आया त्यों त्यों उनका व्यक्तित्व निखरता गया। संघर्ष के साथ साहस उनकी मूलभूत शक्ति है, जिससे उन्होंने मुकाम को हासिल किया है कि आज वह हम सब की प्रेरणा स्रोत है।
डॉ सारिका सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं इस बात को नहीं मानती थी सावित्रीबाई फुले के सफलता के पीछे उनके पति का हाथ था। उनकी सफलता के पीछे सिर्फ और सिर्फ उनका संघर्ष था। किसी सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ हो सकता है लेकिन एक सफल महिला के पीछे सिर्फ और सिर्फ उसका संघर्ष होता है। श्रीमती आराधना ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति में जिस दांपत्य की परिकल्पना की गई है अर्थात गृहस्थ जीवन की सफल परिकल्पना की गई है, उसके सबसे सशक्त उदाहरण फुले दंपत्ति है। यदि आज स्त्री और पुरुष एक दूसरे के प्रतिस्पर्धी होने की वजह सहयोगी बन जाए तो भारत वास्तव में विश्व गुरु हो जाए। बीएससी की छात्रा पूजा ने सावित्रीबाई फुले के जीवन चरित्र को अनुकरणीय बताते हुए उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं को आत्मसात करने की बात कही। इस अवसर पर बशारत हुसैन, अदिति यादव, देविका सिंह गहलोत, कु. अन्वया प्रियदर्शी, शास्वत प्रकाश, नायला खान एवं नसरा खान ने भी अपने वक्तव्य से गोष्ठी की गरिमा बढ़ाई। अध्यक्षीय उद्बोधन प्रख्यात समाजशास्त्री डॉ इकलाख खान के द्वारा दिया गया जिसमें उन्होंने फूले दंपति के कार्यों की विवेचना करते हुए उसे राष्ट्र निर्माण का प्रतीक बताया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ शिवकुमार तथा संचालन डॉ निरंजन कुमार यादव ने किया।

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