“घनाक्षरी”
आप सभी को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
“घनाक्षरी”
समर भूमि में जब,रावण अचेत हुआ,
सभी ने ये मान लिया,जीत नहीं पाएगा।
समाचार सुना जब, इंद्रजीत हार वाला,
लंका पति मान गया ,बच नहीं पाएगा।
विभिषण गया जब,शरण में राम जी की,
लंकेश को चैन मिला,वंश बच जाएगा ।
जनक सुता को जब, राघव का पता चला
तन मन खिल गया , कष्ट मिट जाएगा।
कवि अशोक राय वत्स
रैनी मऊ उत्तरप्रदेश8619668341
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