अभिर्भाव दिवस! श्रद्धा और भक्ति भाव के बीच मना महामंडलेश्वर भवानीनन्दन यति का जन्मदिन

गाजीपुर। जखनियां तहसील क्षेत्र के हथियाराम के पवित्र वृद्धम्बिका माता की अति प्राचीन सिद्धपीठ पर भादों मास के शुक्लपक्ष अष्टमी (राधाष्टमी) तिथि पर पीठाधिश्वर महामण्डलेश्वर पौहारी स्वामी श्री भवानीनन्दन यति महाराज का जन्मदिवस बुधवार को श्रद्धा पूर्वक मनाया गया।
कोरोना महामारी के चलते विसम परिस्थितियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पहुंचे शिष्य-श्रद्धालुओं ने महाराजश्री को शीश नवाकर आशिर्वाद लिया।
बताते चलें कि स्वामी भवानीनन्दन यति जी महाराज जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामण्डलेश्वर के रूप में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे और आज भी सनातन धर्म की ध्वजा-पताका लेकर धार्मिक अनुष्ठानों द्वारा देश के कोने कोने में भटके हुए लोगों को मानवता की राह दिखा रहे हैं।
देवभूमि उत्तराखंड में भादों मास के शुक्लपक्ष अष्टमी (राधाष्टमी) तिथि को अवतरित
महाराजश्री, सिद्धपीठ हथियाराम मठ के तत्कालीन महन्थ स्वामी बालकृष्ण यतिजी के सानिध्य और आशीर्वाद से सिद्धपीठ हथियाराम गाजीपुर के 26वें पीठाधीश्वर के रूप में 23 फरवरी 1996 को पधारे थे। काशी परिक्षेत्र में स्थित सिद्धपीठ हथियाराम मठ करीब सात सौ वर्षों से आध्यात्मिक शक्ति पूंज है। यह अनेकों सिद्ध महापुरुषों की साधना स्थली रहा है। आज भी यहां आध्यात्मिक शक्तियों का वास है। वर्तमान पीठाधिश्वर स्वामी भवानीनन्दन यति जी महाराज स्वयं एक सिद्ध महापुरुष हैं जिनके दर्शन व प्रवचनों का लाभ.जनमानस को मिल रहा है। मानवता की रक्षा और विश्व कल्याणार्थ देश विदेशों में यज्ञ अनुष्ठान कर धर्म संस्कृति को बचाये और बनाये रखने हेतु सतत प्रयत्नशील महाराजश्री स्वयं त्याग, करुणा और श्रद्धा की त्रिवेणी हैं। आपके संरक्षण से मठ की गौरवशाली परम्परा निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
आपका अवतरण दिवस मठ के अनुयायियों व भक्तों के लिए एक उत्सव का दिन होता है। स्वामी भवानीनन्दन यति जी का आध्यात्मिक व्यक्तित्व अत्यंत प्रिय एवं विशाल है। जन्मदिवस पर जुटे शिष्य-श्रद्धालुओं के बीच प्रवचन करते हुए महाराज जी ने कहा कि साधु-संतों के चरण नहीं बल्कि आचरण पकड़े, उसी में कल्याण होगा। सन्त महात्माओं द्वारा दिखाये गये मार्गों का अनुसरण करें। शिष्य-श्रद्धालुओं ने उनके दीर्घजीवी होने की कामना की। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण पांतरी, डॉ. रत्नाकर त्रिपाठी, शंभु पाठक, पूर्व प्रमुख सन्तोष यादव, सन्तोष मिश्रा, नागेंद्र सिंह, आनन्द मिश्रा, लौटू प्रजापति सहित विभिन्न क्षेत्रों से आये शिष्य- श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।

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