ढूंढे तो  ढूंढे कहां ? धरती खा गयी या आसमां निगल गया….?

जी हां, सुनने में यह भले ही अटपटा लग रहा है परन्तु है सोलह आने सच। जिले के 42 लोग अब तक लापता हैं और उनका सुराग लगाने में प्रशासन के हाथ पांव फूल रहे हैं परन्तु ये साढ़े तीन दर्जन लोग गिरफ्त से पूरी तरह दूर हैं।
बात है गाजीपुर जिले में कोरोना वायरस से संक्रमित 42 मरीजों की जो अचानक लापता हो गये हैं। प्रशासन उनकी तलाश में जुटा है। कई टीमों को खोजने में लगाया गया है। इन 42 मरीजों ने कोविड-19 सैंपल जांच के दौरान फार्म पर अपनी गलत जानकारियों को दर्ज किया था।इसके कारण रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद प्रशासन उन तक नहीं पहुंच सका है। उनके द्वारा दिया गया मोबाइल नंबर भी गलत है या स्विच आफ बता रहा है। अब सीसीटीवी फुटेज और अन्य विवरण के आधार पर इन संक्रमितों की तलाश हो रही है।
गाजीपुर में लगातार बढ़ते संक्रमण के बीच मरीजों की संख्या 1100 के पार पहुंच चुकी है। यहां करीब 553 मरीज स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं तो एक्टिव केस करीब 554 हैं। अब तक 10 मरीजों की मौत हो चुकी है। प्रशासन की लगातार कोशिशों के बाद भी 42 संक्रमितों का कोई अता पता नहीं चल रहा है। गलत नाम पता और मोबाइल नंबर के चलते उनकी पहचान नहीं हो पा रही है। उनके हुलिये के आधार पर चिकित्सक, पुलिस, प्रधान और लेखपाल मिलकर तलाश कर रहे हैं।
कोराेना के नोडल डाक्टर और एसीएमओ डॉ. केके वर्मा ने बताया कोविड-19 सैंपलिंग के दौरान फार्म भी भराया जाता है। पहले कम मरीज होने के दौरान जांच के बाद मरीजों को रेलवे जोनल ट्रेनिंग सेंटर के अलग-अलग रूम में क्वारंटीन करते थे। अब मरीज बढ़ने पर जांच के बाद लोगों को रिपोर्ट आने तक होम क्वारंटीन का आब्शन दिया जाता है। गंभीर मरीजों को भर्ती कर लेते हैं और ट्रू नाट में जांच के बाद रिपोर्ट के अनुसार इलाज भी शुरू कर देते हैं।
जो 42 मरीज नहीं मिल रहे हैं, उन्होंने जांच के दौरान फार्म में गलत जानकारियां भरी हैं। उनका नाम, पता और मोबाइल नंबर सब गलत है। हम उनकी तलाश में जुटे हैं और जल्द ही सभी को अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा। ऐसे मरीज अगर होम आइसोलेशन चाहते हैं तो उसका फार्म भरकर सुविधाएं ले सकते है।

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