होगी फांसी ! निर्भया के दोषियों की याचिका खारिज

नई दिल्ली, 14 जनवरी 2020। निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में दोषियों को मिली मौत की सजा के खिलाफ दो क्यूरेटिव पेटिशन पर सुनवाई कर शीर्ष अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी। यह सुनवाई 2012 गैंगरेप और हत्या के दोषी विनय और मुकेश की याचिका पर जस्टिस एनवी रमन्ना की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ में जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस आर भानुमती और जस्टिस अशोक भूषण शामिल रहे।
बताते चलें कि गत मंगलवार को दिल्ली की अदालत ने मुकेश 32वर्ष, पवन गुप्ता 25वर्ष, विनय कुमार शर्मा 26वर्ष और अक्षय कुमार सिंह 31वर्ष के खिलाफ डेथ वारंट जारी किया था और फांसी की तारीख व समय 22 जनवरी को सुबह 7 बजे तिहाड़ जेल में मुकर्रर की थी। दोषी मुकेश और विनय की क्यूरेटिव याचिका पर 14 जनवरी को दोपहर एक बजकर 45 मिनट पर सुप्रीम कोर्ट में इन-चैम्बर सुनवाई की।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में सात साल पहले 16 दिसंबर की रात को एक नाबालिग समेत छह लोगों ने एक चलती बस में 23 वर्षीय निर्भया का सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बस से बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया था। इस घटना की निर्ममता पर सुनने वालों के रोंगटे खड़े हो गए। इस घटना के बाद पूरे देश में व्यापक प्रदर्शन हुए और महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर आंदोलन शुरू हो गया था। इस मामले के चार दोषियों विनय शर्मा, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता और अक्षय कुमार सिंह को मृत्युदंड सुनाया गया। एक अन्य दोषी राम सिंह ने 2015 में तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी और नाबालिग दोषी को सुधार गृह में तीन साल की सजा काटने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था।
बताते चलें कि क्यूरेटिव पिटिशन(क्यूरेटिव याचिका) तब दायर किया जाता है जब किसी मामले के दोषी की राष्ट्रपति के पास भेजी गई दया याचिका और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाती है। ऐसे में क्यूरेटिव पिटिशन ही उस दोषी के पास मौजूद अंतिम मौका होता है, जिसके जरिए वह अपने लिए पहले से तय की गई सजा में नरमी की गुहार लगा सकता है। खास बात है कि क्यूरेटिव पिटिशन किसी भी मामले में अभियोग की अंतिम कड़ी होता है। क्यूरेटिव पिटिशन पर सुनवाई होने के बाद दोषी के लिए कानून के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं।

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