टीईटी परीक्षा में एसटीएफ ने नकल कराने में प्रधानाचार्य समेत पांच लोगों को दबोचा

सरकार के अरमानों पर फिरा पानी, नकल विहीन परीक्षा का दावा खोखला
. डा.ए.के.राय
गाजीपुर,08 जनवरी 2020। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे सरस्वती के साधकों ने भाजपाराज के भ्रष्‍टाचार मुक्‍त शासन की धज्जियां उड़ा दी। नकल के लिए मशहुर जिला आज एक बार फिर सुर्खियों में आ गया।जिला प्रशासन की लाख कवायद के बाद भी टेट परीक्षा में नकल करने कराने का खेल बदस्तूर जारी रहा। परीक्षा में नकल के खेल का खुलासा तब हुआ जब अचानक छापा मारकर एसटीएफ वाराणसी की टीम ने जिले के सदर क्षेत्र के बुद्धम शरणम् इंटर कालेज छावनी लाइन में टीईटी परीक्षा की प्रथम पाली में नकल कराने में लिप्त प्रधानाचार्य और उनके चार सहयोगियों को धर दबोचा। गिरफ्तार किए गए लोगों में बुद्धम् शरणम कालेज के प्राधानाचार्य पारस सिंह कुशवाहा पुत्र स्वर्गीय बंसी सिंह कुशवाहा निवासी रघुनाथपुर छावनी लाइन , चंद्रपाल कुशवाहा पुत्र नंदलाल कुशवाहा निवासी खतीरपुर थाना शादियाबाद, चंद्रहास कुशवाहा पुत्र नंदलाल कुशवाहा निवासी खतीरपुर थाना शादियाबाद, अजीत कुशवाहा पुत्र भरत सिंह कुशवाहा निवासी खतीरपुर थाना शादियाबाद व सिया राम सिंह यादव पुत्र रामवृक्ष सिंह यादव निवासी जमालपुर थाना सदर कोतवाली रहे।सभी गिरफ्तार अभियुक्त इसी जिले के निवासी हैं।

बताते चलें कि वर्ष 2016-17 में ही इसी विद्यालय में प्रदेश स्तरीय पालिटेक्निक प्रवेश परीक्षा में सुविधा शुल्क लेकर ब्यापक पैमाने पर नकल करायी गयी और अंजाम यह रहा कि आधे दर्जन से उपर परीक्षार्थी टाप कर गये। उस समय ही यह विद्यालय सुर्खियों में छा गया। इसी परीक्षा केंद्र से कई परीक्षार्थियों का उच्च अंक हासिल करने पर प्रदेश सरकार के कान खड़े हो गये। स्थिति की समीक्षा के लिए लखनऊ से आयी जांच टीम ने जांच में परीक्षा में व्यापक धांधली पायी और तब विद्यालय के प्रधानाचार्य समेत कई लोग जेल की हवा खाये थे। बाद के वर्षों में बात आयी गयी हो गयी और विद्यालय के रहनुमाओं ने अपनी पहुंच के बल पर सारी काली करतूतों को जड़ से ही मिटा दिया। इसका लाभ यह हुआ कि यह विद्यालय फिर बोर्ड परीक्षाओं सहित अन्य परीक्षाओं का केंद्र बनने लगा।
इस वर्ष टीईटी परीक्षा के लिए परीक्षा केन्द्रों के निर्धारण में शासन प्रशासन ने फूंक फूंक कर कदम उठाया, फिर भी इस विद्यालय का चयन कैसे किया गया? बताया तो गया कि एसडीएम व शिक्षा विभाग के अधिकारियों और उपजिलाधिकारी के जांचोपरांत सब सही पाये जाने पर ही परीक्षा केन्द्र बनाया जाता हैं। यह साबित करता है कि कहीं न कहीं चूक तो हुई है। यह चूक जाने अनजाने में हुई है या फिर चांदी के जूतों की वजह से…………..? इस घटना की चर्चा पूरे जिले में जोरों पर है, जिले के शिक्षा विभाग के लोग चटकारा लेकर इसे बड़े लोगों की बड़ी बात बता रहे हैं।
वहीं जिलाधिकारी ओमप्रकाश आर्य और पुलिस अधीक्षक डा.अरविन्द चतुर्वेदी ने परीक्षा के दौरान चौकसी बरती और अनेक परीक्षा केंद्र पर पहुंच जांच पड़ताल कर परीक्षा में सुचिता कायम रखने की चेतावनी भी दी।

देखें प्रेस नोट …….

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