नवरात्रि ! शरीर की आध्यात्मिक शक्तियों को रिचार्ज करने का है उचित समय, यदि सरकार संसाधन उपलव्ध कराये तो आतंकवाद, ओलावृष्टि, अनावृष्टि जैसी समस्याओं पर लग जायेगी रोक

गाजीपुर (उत्तर प्रदेश),09 अप्रैल 2019। पवित्र सिद्धपीठ हथियाराम के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनन्दन यतिजी महाराज ने आज मनिहारी क्षेत्र के अति प्राचीन काली धाम मन्दिर हरिहरपुर में चल रहे यज्ञ अनुष्ठानों के बीच पत्र प्रतिनिधियों से वार्ता में कहा कि चैत्र नवरात्र को मां की उपासना का अनुकूल समय होता है। वर्ष का आरम्भ चैत्र मास से होता है और प्रारम्भ के नौ दिन विशेष होते हैं। इस समय प्रकृति में हर तरफ उल्लास रहता है।पेड़ पौधों में नयी शक्ति और उर्जा का संचार होता है। इस समय किये गए पूजन अर्चन से हमारी आन्तरिक शक्तियां रिचार्ज हो जाती हैं और शक्ति की आराधना व उपासना भक्तों के लिए सदैव मंगलकारी होती है। जिस तरह समय और काल के अनुसार ही अन्न उपजता है, उसी प्रकार समय से की गयी आराधना से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

आध्यात्म की चर्चा पर कहा कि यह विज्ञान से भरा पड़ा है। आज आस्था से विज्ञान दूर हो रहा है। अपने आध्यात्मिक ज्ञान के बल.पर भारत विश्व गुरु रहा परन्तु अब लोग इससे विमुख हो रहे हैं और भौतिकता की चकाचौंध में भाग रहे हैं परन्तु कहीं शान्ति नहीं मिल रही है। कहा कि विज्ञान कहता है कि आओ कर के देखें, और आध्यात्म ने तो कर के दिखाया है। लक्ष्मण ने सिर्फ मंत्रोच्चार करके एक रेखा मात्र खींची थी, जिसे महाज्ञानी, महापराक्रमी रावण पार तक नहीं कर सका। वैदिक मंत्रों में बड़ी शक्ति है।
देश में शान्ति स्थापना, आतंकवाद से निजात, अल्पवृष्टि, अतिवृष्टि व अनावृष्टि जैसी राष्ट्रीय समस्याओं से निजात पाने का मार्ग आध्यात्म में है। मंत्रों में अपार शक्तियां नीहित हैं। नवरात्र में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति के संचय के लिए अनेक प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग-साधना आदि करते हैं। यदि संतों को उचित संसाधन मिले तो अतिवृष्टि, अनावृष्टि, प्रकृति की प्रतिकूलता और आतंकवाद जैसी समस्याओं को दूर करते हुए आसुरी व विध्वंसक शक्तियों पर काबू पाया जा सकता है।
कालीधाम हरिहरपुर में चल रहे नौ दिवसीय शतचण्डी महायज्ञ के वैदिक मंत्रों के जाप व हवनादि से पूरा क्षेत्र के भक्तिमय हो रहा है। अयोध्या-फैजाबाद से आये कलाकार प्रतिदिन संध्याकाल में रामलीला का मंचन कर लोगों को भगवान राम की लीला का दर्शन करा रहे हैं। इस दौरान आचार्य संजय पाण्डेय, देवरहा बाबा, अभयानंद यति, पं. हर्षित महराज, बृजेन्द्र राय, योगेश पाण्डेय, सुभाष यादव आदि मौजूद रहे।

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