विधानसभा भंग ! “जम्मू-कश्मीर” धरे रह गए सरकार बनाने के दावे

नई दिल्ली, 22 नवम्बर 2018। जम्मू-कश्मीर में चल रहे राजनीतिक उठापटक के मध्य राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य विधानसभा को भंग कर दिया है। जम्मू राजभवन ने कल देर रात यह आदेश जारी कर दिया। राज्यपाल के राज्य विधानसभा को भंग करने पर राजनीतिक दलों को जोर का झटका लगा है। सबसे तेज झटका पीडीपी के महबूबा मुफ्ती को लगा है, जो घूरविरोधी नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का समर्थन लेकर सरकार बनाने का दावा पेश कर रहीं थीं।
इसी क्रम में महबूबा मुफ्ती के अतिरिक्त पीपल्स कॉन्फ्रेंस नेता सज्जाद लोन भी सरकार बनाने का दावा पेश कर रहे थे। पीडीपी ने सरकार बनाने का दावा फैक्स के जरिए राज्यपाल कार्यालय में भेजा था। महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर पर जानकारी दी कि सरकार बनाने के दावे का फैक्स उन्होंने राज्यपाल कार्यालय को भेंजा था जो रिसीव नहीं हुआ और न ही राजभवन का फोन उठा।
मुफ्ती ने अपने पत्र में लिखा, “जैसा कि आप जानते हैं कि राज्य विधानसभा में 29 विधायकों के साथ पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है। मीडिया के जरिए आपको जानकारी मिल ही गई होगी कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पीडीपी के साथ सरकार बनाने पर सहमत हो गए हैं। वहीं एनसी के पास 15 और कांग्रेस के पास 12 विधायक हैं। इस तरह हमारे पास कुल 56 विधायकों का समर्थन है। मैं अपनी पार्टी की तरफ से सरकार बनाने का दावा पेश करती हूं। ”
उल्लेखनीय है कि राज्य की सियासत में 36 का आंकड़ा रखने वाली, धुर विरोधी मानी जाने वाली उमर अबदुल्ला की अध्यक्षता वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने बीजेपी को रोकने के लिए साथ आने का फैसला किया था और इसका फायदा उठाने कांग्रेस भी साथ आ गयी थी।
सूत्रों के अनुसार तीनों दलों की बैठक में अल्ताफ बुखारी को मुख्यमंत्री बनाये जाने का निर्णय लिया गया था।
ज्ञातव्य है कि मार्च 2015 में पीडीपी -भाजपा की गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद बने थे और उनके निधन के बाद महबूबा मुफ्ती ने पद संभाला था। गत 16 जून को पीडीपी-बीजेपी गठबंधन से भाजपा के अलग होने के बाद प्रदेश में राज्यपाल शासन लगा था।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा विधानसभा भंग किए जाने के बाद राज्य में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं।

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