न्यू इंडिया के लिए नये बनारस का हो रहा निर्माण – पीएम       

वाराणसी (उत्तर प्रदेश),14 जुलाई 2018। शनिवार का दिन पूर्वांचल के लिए खास रहा क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को आजमगढ़ के बाद वाराणसी पहुंचे। वाराणसी में भी पीएम कई योजनाओं का उद्घाटन किया।जनसभा में उन्होंनेे भोजपुरी में अपने सम्बोधन की शुरुआत हर-हर महादेव के उद्घोष से की।उन्होंने भोजपुरी में अभिवादन कर रथयात्रा की शुभकामनाएं दी। कहा कि काशी के किसानन के ये भरल-पूरल माटी के हमार प्रणाम बा। आप सब अन्नदाता लोगन के भी हमार प्रणाम बा। आज भगवान जगन्नाथ की पूजा का दिन ह। रथयात्रा मेला का आप सबन के बहुत-बहुत बधाइयां।उन्होंने वाराणसी शहर की जमकर तारीफ करते.हुए कहा कि न्यू इंडिया के लिए एक नए बनारस का निर्माण हो रहा है। इसकी आत्मा पुरातन तो काया नवीनतम होगी। जिसमें आध्यात्म भी होगा और आधुनिकता भी। यहां के कण-कण में संस्कृति और संस्कार होंगे लेकिन व्यवस्थाएं स्मार्ट होंगी। बदलते हुए बनारस की ये तस्वीर अब चौतरफा दिखने लगी है।पीएम ने कहा, ‘देश और दुनिया से भोलेबाबा के जो भक्त यहां काशी आते हैं उनको असुविधा ना हो इसकी व्यवस्था की जा रही है। आस्था और सांस्कृतिक महत्व के जितने भी स्थान काशी में हैं, उनको जोड़ने वाली दो दर्जन सड़कों की दशा सुधारी गयी है। बनारस बदल गया है, सिर के ऊपर लटकने वाले बिजली के तार गायब हो गए हैं। सरकार के क्रियाकलाप पर चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि चार साल में बनारस में दस हजार करोड़ से ज्यादा का निवेश हो चुका है और आगे भी ये जारी रहेगा। पहले की सरकार काशी का विकास नहीं होने देना चहाती थी लेकिन अब बनारस की सड़के रोशनी से नहा रही हैं। काशी अब मेडिकल साइंस का केंद्र बन गया है। पर्यटन के मानचित्र पर काशी प्रमखुता से उभरी है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र की जनता को 936.95 करोड़ रूपये की 33 योजनाओं का तोहफा दिया। उन्होंने 449.29 करोड़ रूपये की 21 योजनाओं का लोकार्पण और 487.66 करोड़ रूपये की 12 योजनाओं के शिलान्यास के साथ ही सिटी गैस वितरण परियोजना व वाराणसी-बलिया ईएमयू ट्रेन का लोकार्पण भी किया।कहा कि भोले बाबा जैसा भोलापन, हर किसी को समाहित करने वाली मां गंगा जैसा स्वभाव ही काशी की पहचान है। सदियों से बनारस परंपराओं में रचा-बसा है। इसकी पौराणिक पहचान को नई ऊंचाई देने और काशी को 21वीं सदी की जरूरतों के हिसाब से विकसित करने का प्रयास पिछले चार साल से जारी है।

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