यज्ञ से होती है सकारात्मकता की वृद्धि – महामंडलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज
गाजीपुर (उत्तर प्रदेश), 21 मार्च 2018।
अपने दैैैनिक हरि हरात्मक पूजनोपरांत सिद्धपीठ हथियाराम मठ के पीठाधीश्वर स्वामी भवानी नंदन यति जी महाराज ने श्रद्धालु भक्त जनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मां की आराधना व पूजन का विशेेष समय वर्ष में वासंतिक नवरात्रि तथा शारदीय नवरात्रि के रुप मे आता है। बासंतिक नवरात्रि के महत्व पर कहा कि इस समय प्रकृति अपने पुरानेपन को छोड़कर नवीनता धारण करती है, वृक्षों पर फल,फूल आते हैं और वातावरण आह्लादित हो उठता है।चारों तरफ खुशी और उमंग का भाव होता है। ऐसी उर्जा से भरपूर खुशनुमा समय में भक्ति भाव से की गयी मां की उपासना कभी व्यर्थ नहीं जाती।
कहा कि उपासना का मतलब समीप बैठना है अर्थात मां के सम्मुख बैठकर ध्यान लगाकर एकाग्र मन से अन्तःकरण की शुद्धि करना ही उपासना है।जिस प्रकार दूध में मक्खन है पर दिखता नहीं है ।उसे पाने के लिए मेहनत से मंथन करना होता है,उसी प्रकार ईश्वर को पाने के लिए भी अपने भटकते मन पर काबू कर उसे गुरु कृपा से मथना पड़ता है।इसलिए हमें नवरात्र में व्रत रखकर भक्ति भाव से मां का पूजन अर्चन करना चाहिए।इससे हमें अपनी विकृतियों को त्याग कर सत्कर्मों की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। पूजा पाठ तथा मंत्रों की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मंत्र में असीमित शक्तियों का भंडार है तो यज्ञ की आहुतियोंं में असीमित ऊर्जा समाहित है। जहां मंत्रों का जाप, पूजन तथा यज्ञ की आहुतियां होती हैं,वहां सकारात्मक शक्तियों का वास और नकारात्मक उर्जा का नाश होता है। शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ने से मन में उत्साह और नई ऊर्जा की वृद्धि तथा नव चेतना का संचार होता है। हवन तथा यज्ञ से जहां सकारात्मक शक्तियों का उदय होता है वहीं आसपास का वातावरण भी शुद्ध व सात्विक हो जाता है। श्री महाराज ने श्रद्धालु जनों से विश्व कल्याण हेेेतु भक्ति भाव से नवरात्र में मां का पूजन करने की सीख दी।
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