कारखास कैदियों पर शुरू हुई कार्यवाही
जिला जेल से दस कैदी वाराणसी सेंट्रर जेल तो कई अन्य जेल में रहेंगे
गाजीपुर। जिला जेल में बंद कैदियों से सुविधा शुल्क लेकर मोबाइल से वार्ता कराने के मामले में जेलर राकेश कुमार वर्मा और डिप्टी जेलर सुखवती देवी के निलंबन के बाद उनके कारखास रहे कैदियों पर भी कार्रवाई जारी है। गाज़ीपुर कारागार से दस कैदियो को वाराणसी सेंट्रर जेल स्थानांतरित किया गया है।
बताते चलें कि विनोद गुप्ता पुत्र उमाशंकर गुप्ता निवासी ग्राम नगदिलपुर उर्फ दुल्लहपुर थाना रेवतीपुर गाजीपुर द्वारा ग्राम नगदिलपुर उर्फ दुल्लहपुर में ऊँ श्री बक्शू बीर बाबा एकेडमी का संचालन कर युवकों को भर्ती परीक्षाओं हेतु तैयारी कराता था। वह अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एकेडमी में अभ्यर्थियों को बरगलाकर उनसे बिहार सचिवालय में विभिन्न पदों पर नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपए हड़प लिया। नौकरी न मिलने और ठगे जाने की जानकारी पर युवकों ने पुलिस दरबार में गुहार लगाई और कई मुकदमे दर्ज किए गए। इस मामले में रेवतीपुर थाना पुलिस टीम द्वारा जनवरी में वांछित अभियुक्त विनोद गुप्ता पुत्र उमाशंकर गुप्ता निवासी ग्राम नगदिलपुर उर्फ दुल्लहपुर थाना रेवतीपुर जनपद गाजीपुर व अभियुक्ता कुमारी कृष्णा उपाध्याय पुत्री स्व. विरेन्द्र उपाध्याय निवासिनी ग्राम गहमर पट्टी मैगा राय थाना गहमर जनपद गाजीपुर को गिरफ्तार कर विधिक कार्यवाही करते हुए न्यायालय के सुपुर्द किया था। जिला कारागार में बंद विनोद गुप्ता पैसे के बल पर जेल से ही मोबाइल पर लोगों से वार्ता करता था। उसने अपने विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने वाले शिकायत कर्ता/ गवाह को चार मार्च को जेल से ही फोन कर धमकी दी थी। इसके बाद यह मामला जिला प्रशासन, शासन तक जा पहुंचा तो मामले की जांच शुरू हुई। मोबाइल की काल हिस्ट्री और अन्य जांचों में सुविधा शुल्क लेकर मोबाइल फोन से बात करने की पुष्टि हुई थी।
जेलर और डिप्टी जेलर के निलम्बित होने के उपरांत उनके कारखास बंदियों पर कार्रवाई होने लगी। गाज़ीपुर जेल से सोलह बंदियों को अन्य जेलों में शिफ्ट करने की कार्रवाई जारी है। इसमें से दस कैदियो को वाराणसी सेंट्रर जेल में स्थानांतरित किया गया है। इसमें निलंबित जेलर के राइटर संतोष सिंह उर्फ पवन सिंह प्रमुख है जो हत्या के केस में आजीवन कारावास की सजा में है। वह कैदियों से मन माफिक पैसा लेकर विभिन्न मोबाइल नंबरों से उनकी बात कराता था। इतना ही नहीं बल्कि अच्छी खासी रकम लेकर बंदियों को मनमाफिक बैरक व भोजन देने की भी जानकारी मिली थी।
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