जच्चा बच्चा की मौत मामले में अस्पताल सीज

गाजीपुर। मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देश पर सेवराई तहसीलदार सुनील कुमार के नेतृत्व में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रभारी डॉ धनंजय आनंद ने आदित्य हॉस्पिटल दिलदारनगर को सीज कर दिया। वहीं अस्पताल में भर्ती दो मरीजों को इलाज हेतु एम्बुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व जिला अस्पताल भेजा गया। स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गयी इस कार्रवाई से अस्पताल संचालकों में हड़कंप मच गया।


   उल्लेखनीय है कि गत 25 जुलाई को दिलदारनगर थाना रोड स्थित आदित्य हॉस्पिटल में नवजात व प्रसूता के मौत के मामले में यह कार्रवाई की गयी है।   बताते चलें कि बिहार के रोहतास जनपद के कोचस थाना के पड़ियारी निवासी सतेंद्र कुशवाहा की गर्भवती पत्नी शिव बाला देवी पांच माह से रेवतीपुर थाना क्षेत्र के त्रिलोकपुर गांव अपने मायके में रह रही थी। गत 25 जुलाई को उसे प्रसव पीड़ा होने पर रेवतीपुर स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात एक आशा उन्हें परिजनों सहित लेकर दिलदार नगर के आदित्य अस्पताल पहुंचाया।

       प्रसूता के परिजनों का आरोप था कि अस्पताल प्रबंधक तौसीफ खाँ उर्फ भोलू द्वारा मरीज ने यह कहकर चालीस हजार रुपये की मांग की कि इनकी हालत ठीक नहीं लग रही है। आप भर्ती कराइये ऑपेरशन कर सब ठीक कर दिया जाएगा। ऑपेरशन के बाद मृत बच्ची पैदा हुई और इसके कुछ देर बाद ही प्रसूता शिवबाला देवी ने भी दम तोड़ दिया। घटना की जानकारी पर पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पत्र भेजकर कारवाई व मुकदमा पंजीकृत करने का आदेश मांगा था। जांचोपरांत अधिकारियों के निर्देश पर गत 24 सितंबर को मृतका के पति सतेंद्र कुशवाहा की तहरीर पर पुलिस अस्पताल प्रबंधक तौसीफ खाँ उर्फ भोलू व अस्पताल में कार्यरत अज्ञात चिकित्सक के खिलाफ केस दर्ज कर कारवाई में जुट गई। मंगलवार को दोपहर बाद सेवराई तहसीलदार सुनील कुमार के संग सीएचसी भदौरा प्रभारी डॉ धनंजय आनंद अस्पताल पहुंचे। उन्होंने अस्पताल प्रबंधक

  • तौसीफ खाँ व मौजूद कर्मियों से अस्पताल सीज होने की बात बताई। उन्होंने अस्पताल में भर्ती दो मरीजों में एक को सीएचसी भदौरा व दूसरे को जिला अस्पताल भिजवाया। इसके बाद  अस्पताल के मुख्य गेट व स्टाफ रूम को छोड़ ऑपेरशन कक्ष सहित अन्य कमरों को सीज कर दिया। कहा जा रहा था कि 25 जुलाई को प्रसूता के मौत की घटना के बाद आदित्य अस्पताल का रजिस्ट्रेशन को सीएमओ ने निरस्त कर दिया था और कई बार नोटिस देने के बाद भी अस्पताल प्रबंधक द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। बिना रजिस्ट्रेशन अस्पताल का संचालन होने पर तहसीलदार के नेतृत्व में अस्पताल को सीज किया गया।

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