अपाहिज बन कर रह गया है शिशु परिवार उप कल्याण केंद्र 

गोबर के उपले बने हैं उसकी पहचान 

गाज़ीपुर। आमजन को स्वास्थ सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बनाये गये स्वास्थ्य केंद्र विभागीय अधिकारियों की उपेक्षा के कारण दुर्व्यवस्था का शिकार होकर रह गये हैं। ये स्वास्थ्य केंद्र स्वयं बिमारियों की गिरफ्त में आकर अपना दम तोड़ रहे हैं।

     किसान सभा के प्रणेता स्वामी सहजानंद सरस्वती का गांव देवा इसकी बानगी है। दुल्लहपुर रेलवे स्टेशन के समीप स्थित इस गांव की स्वास्थ्य व्यवस्था आमजन से कोसों दूर है।

 देवा गांव :सरकारी योजनाओं की निःशुल्क दवा खुराक भी नसीब नहीं, बना भवन हुआ जर्जर

  उल्लेखनीय है कि ज़खनिया विकास खण्ड के देवा गांव की आबादी लगभग सात हजार के आसपास है। यह दुल्लहपुर, तिरक्षी, अमारी, चुरामनपुर , जलालाबाद, दामोदरपुर, शिवपुर आदि गांव से घिरा है। गांव में डेढ़ दशक पूर्व लाखों की लागत से शिशु परिवार कल्याण स्वास्थ उप केंद्र का निर्माण कराया गया। लोगों में आस जगी थी कि उन्हें यहां से इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी लेकिन हुआ इहका उल्टा। यह अस्पताल लोगों को सुविधा तो नहीं दे पाया अलबत्ता विभागीय उपेक्षा और देखरेख के अभाव में उपकेंद्र स्वयं बिमारियों की गिरफ्त में आ गया। वर्तमान में उसकी खिड़की, दरवाजा, हैंड़पप, गेट, इलेक्ट्रेनिक वायरिंग धीरे धीरे चोरी होते गये। वास्तविकता यह है कि इस स्वास्थ केंद्र में ग्रामीण गोबर के उपली पाथने का काम ले रहे हैं।

       प्रधान प्रतिनिधि दीपक चौरसिया ने कहा कि सात हजार की आबादी का यह गांव आज भी स्वास्थ व्यवस्था से कोसों दूर है। स्वास्थ्य विभाग की कोई सुविधा गांव में नहीं है। ग्रामीणों को अपनी चिकित्सा के लिए निजी डाक्टरों के यहां या फिर ज़खनियां या धर्मागतपुर स्वास्थ्य केंद्र पर जाना पड़ता है। ग्रामीण अखिलेश मिश्रा ने कहा की देवा गांव किसानों के मसीहा स्वामी सहजानंद सरस्वती का पैतृक गांव है। ऐसा महापुरुष का गांव स्वास्थ व्यवस्था से कोसों दूर है यह आश्चर्य जनक है। योगी सरकार ने स्वास्थ सुबिधा के लिए महकमा को निर्देश दे रखे है लेकिन महकमा की लापरवाही के चलते यह गांव निःशुल्क सरकारी दवा से वँचित है।   ग्रामीण संजीव चौरसिया, अभिषेक मिश्रा, उमेश गुप्ता, विकास जायसवाल, टिंकल जायसवाल, विनोद राजभर, अरविन्द राजभर, शिशु राय, प्रमोद राजभर, राधे चौरसिया, त्रिलोकी पाण्डेय, संजय चौबे, प्रभु चौबे, सुमेर यादव, पिंटू गुप्ता, रामजी चौहान, चंदन पाण्डेय आदि ने जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए इसे संज्ञान में लेकर आवश्यक कार्रवाई कराने की मांग की है।        रिपोर्ट –  संजय चौबे

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