साहित्य सृजन के माध्यम से हिन्दी को जन-जन तक पहुंचायें साहित्यकार

गाजीपुर। अखिल भारतीय हिन्दी महासभा काशी प्रान्त की विशेष संगोष्ठी रविवार को मनिहारी क्षेत्र के छपरी गांव में सम्पन्न हुई।

काशी प्रांत के मीडिया प्रभारी डा० अरविंद कुमार राय की अध्यक्षता में सम्पन्न संगोष्ठी के मुख्य अतिथि महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा०विजयानन्द  जी रहे। 

      संगोष्ठी में वक्ताओं ने हिन्दी के उत्थान पर चर्चा करते हुए उसे जन जन की भाषा बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रभाषा हिन्दी को मूर्त रुप में लागू करने की आवश्यकता है। वक्ताओं ने कहा कि विश्व के अनेक देशों में बोली जाने वाली हिंदी आज अपने ही देश में उपेक्षित है और उसे वह आदर और सम्मान प्राप्त नहीं हुआ जो उसे मिलना चाहिए। उन्होंने हिंदी साहित्यकारों से अपेक्षा की कि वे अपने साहित्य सृजन के माध्यम से हिन्दी को जन-जन तक पहुंचाने में अपनी भूमिका का निर्वहन करें। वक्ताओं ने कहा कि वर्ष 1963 का राजभाषा अधिनियम रोजमर्रा की, बोलचाल व संप्रेषण की संपर्क हिंदी को राजभाषा का दर्जा देता है। हमें हिन्दी  की प्रगति के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि हिंदी के नाम पर क्लिष्ट हिंदी का प्रयोग न हो, बल्कि भाषा सौम्य व सरल हो। भाषा में जितना प्रवाह होगा, वह लोगों की जुबान तक उतनी ही जल्दी पहुंचेगी। हिन्दी रोजमर्रा के जितनी करीब होगी, लोगों का उसकी ओर आकर्षण उतना ही ज्यादा होगा और वह उतनी ही जल्दी अपनाई जाएगी। 

    संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ ० विजयानन्द ने अखिल भारतीय हिन्दी महासभा के क्रियाकलापों पर व्यापक चर्चा करते हुए कहा कि महासभा पूरे राष्ट्र में हिन्दी के उत्थान में लगी हुई है। संगोष्ठी में प्रमुख वक्ताओं में गौरी शंकर पाण्डेय, ज्ञानवन्ती राय, डा.प्रतिभा सिंह, पूजा राय, प्रकाश गुप्ता, प्रवीण तिवारी, आदि लोग उपस्थित रहे।

Visits: 150

Leave a Reply