सच्चे मन से याद करने से भगवान करते हैं भक्तवत्सल की रक्षा

गाजीपुर। दुल्लहपुर क्षेत्र के डिल्ला गांव में सूरजकुंड पंचमुखी मंदिर पर श्री रुद्र चंडी महायज्ञ यज्ञ के साथ श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है।
सोमवार की शाम वृंदावन धाम से पधारी षोडस वर्षीय भागवत कथा वाचिका वृजकिशोरी शास्त्री ने भगवद्भक्ति के ज्ञान गंगा से उपस्थित श्रद्धालुओं को अभिसिंचित करते हुए गजेन्द्र मोक्ष की कथा का पान कराया।
कथावाचिका की मधुर वाणी से झरते भगवद्भक्ति के अमृत रस में श्रोता देर शाम तक डुबकी लगाते रहे। धार्मिक कथा प्रसंग की शुरुआत करते हुए कहा कि भगवान विष्णु के दो भक्त अपने अक्षम्य अपराध के कारण श्रापित होकर गज और ग्राह के रूप में धरती पर पैदा हुए थे। गज बलशाली होने के कारण त्रिकूट पर्वत के घने जंगलों में हथिनियों का राजा बनकर समूह में स्वतंत्र विचरण करता था और ग्राह जंगल के मध्य सुरम्य सरोवर में रहकर अपने शिकार की तलाश में पड़ा रहता था। संयोगवश गजेन्द्र नामक मतवाला हाथी प्यास से व्याकुल प्यास बुझाने के लिए सरोवर में उतरा तो शिकार की तलाश में नजर गड़ाए ग्राह ने मौका पाकर गजेन्द्र का पैर पकड़कर जल के अंदर खिंचने लगा। कई दिनों तक दोनों में जोर आजमाइश होता रहा। गजेन्द्र की मदद को जंगल के सारे हाथी परिवार मिलकर बचाने का पूरा प्रयास किया। दिन पर दिन गजेन्द्र अपनी शक्ति कमजोर होता देख सरोवर से कमल पुष्प उखाड़ कमलनयन भगवान विष्णु को रक्षा के निमित्त पुकारा। भक्त का करुण पुकार सुन भक्त वत्सल भगवान ने गजराज की रक्षा के लिए पहुंचे और ग्राह का बध कर गजेन्द्र को मुक्त किया।
कथा का आशय यही है कि भगवान को याद करने में भक्त भले ही देर करता है लेकिन भक्त के याद करने पर भक्तवत्सल भगवान थोड़ी भी देर नहीं करते।
विदित हो कि डिल्ला गांव में सूरजकुंड पंचमुखी मंदिर पर श्री रुद्र चंडी महायज्ञ के साथ श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया है। यह पच्चीस जून से दो जुलाई तक चलेगी। जिसकी पूर्णिहुति तीन जुलाई दिन रविवार को महाप्रसाद वितरण के साथ होगी।

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