श्रीकृष्ण सुदामा की सच्ची मित्रता आज के लिए मिशाल

गाजीपुर। दुल्लहपुर क्षेत्र के खड़ौरा गांव में भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन श्रीमद् भागवत का श्रवण करने के लिए भक्त श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। काशी क्षेत्र से पधारे कथा वाचक आचार्य पं. बृजेश कुमार पांडेय ने भागवत कथा के अंतिम दिन कई प्रसंगों का विस्तार से वर्णन कर भक्तजनों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मित्रता के प्रसंग पर विशेष चर्चा में उन्होंने
कहा कि श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता एक मिसाल रही जो समाज को समानता का संदेश देती है। सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए श्रीकृष्ण सुदामा की निश्छल मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे बिना याचना के कृष्ण ने गरीब सुदामा की दैनीय दशा को सुधारा।सच्ची मित्रता में मोल भाव, ऊंच-नीच, अमीर गरीब का कोई स्थान नहीं होता और सच्ची मित्रता वही होती है जो आडम्बरों से दूर होकर निभाई जाये, जैसे की श्रीकृष्ण ने निभाई थी। उन्होंने बाल सखा सुदामा का आगमन अपने यहां सुना तो धन,वैभव सबकुछ छोड़कर नंगे पैर उनसे मिलने को निकल पड़े।
कथा के दौरान आचार्य ने श्रोताओं को भागवत को अपने जीवन में उतारने का आग्रह किया। प्रवचन के दौरान उन्होंने ऊषा चरित्र, नृग चरित्र, वासुदेव नारद संवाद, परीक्षित मोक्ष की कथा का वर्णन कर लोगों को भावविभोर कर दिया। इस कड़ी में महाराज ने बताया श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है, वहीं इस कथा को कराने वाले भी पुण्य के भागी होते हैं। अंतिम दिन सुखदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्रीमद् भागवत कथा का पूर्णता प्रदान करते हुए विभिन्न प्रसंगों का वर्णन किया। उन्होंने सात दिन की कथा का सारांश बताते हुए कहा कि मानव जीवन कई योनियों के भ्रमण के बाद मिलता है। उन्होंने जीवन जीने के संबंध में भी उपस्थित भक्तों को समझाया। आचार्य ने गो सेवा कार्य करने पर भी जोर दिया। सुदामा की मनमोहक प्रसंग झांकियों से परिपूर्ण था। झांकियो का चित्रण काशी से आए विद्वान ब्राह्मण जयकुमार पाण्डेय और राजेश पाण्डेय द्वारा किया गया। श्रीकृष्ण के रूप में गांव के किशन पाण्डेय तथा सुदामा के रूप में गांव के ही सरोज कुमार पांडेय द्वारा सराहनीय दृश्य प्रस्तुत किया गया जो सबके हृदय को छू गया। नंगे पांव नंगा बदन फटी धोती कंधे पर फटी मटमैली चादर हाथ में लाठी लोटा और डोरी मानो ग़रीबी सचमुच दस्तक दे गई थी। इसके साथ ही कृष्ण दरबार में द्वारपाल के भेष में रोशन तथा विक्की की भूमिका भी सराहनीय रही। कार्यक्रम में हारमोनियम पर साथ दिया पूर्वाचल के मशहूर मानस गायक पियूष कुमार पांडेय, तबले पर हनुमान प्रसाद पांडेय तथा पैड पर मनोज ने।
अंत में कथा व्यास आचार्य पं०बृजेश कुमार पाण्डेय ने कृष्ण के दिव्य लोक पहुंचने का वर्णन सुनाकर कथा का समापन किया। इसके उपरांत महाआरती के बाद प्रसाद भोग वितरण किया गया।इस मौके पर कथा आयोजक, कथा वाचक, ग्रामीण नर नारी, युवा, वृद्धजनों सहित श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।

Visits: 387

Leave a Reply