रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुन झूमे श्रोतागण

गाजीपुर। दुल्लहपुर क्षेत्र के‌ खड़ौरा गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के छठें दिन कथा व्यास आचार्य पं. वृजेश कुमार पाण्डेय ने रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया।
उन्होंने विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणी को साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार बताया।कहा कि रुक्मिणी देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनकर, मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय कर लिया था, जबकि रुक्मिणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। उसके बाद श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लिया। इसके बाद वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। वहां युद्ध में श्रीकृष्ण व बलराम ने रुक्मी को पराजित कर दंडित किया। इसके उपरान्त श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने सम्बंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया। इस मौके पर कथा आयोजक श्यामा चरण पाण्डेय, हीरा लाल पाण्डेय, मोती लाल ‌पाण्डेय, अजय कुमार, किशन, विक्की के अलावा काशी के प्रकांड विद्वान द्वय (जयकुमार पाण्डेय व राजेश कुमार पांडेय), पियूष कुमार पांडेय, हनुमान प्रसाद पांडेय,मनोज आदि भक्तों के साथ सुधी श्रोतागण उपस्थित रहे।

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