कवि की नयी रचना

इस दुर्धर्ष समय में
जहां
खतम कर दी गई है
विचारधारा
अप्रासंगिक कर दिया गया है
हस्तक्षेप।
घोषित किया जा चुका है
अंत
इतिहास का ।
हम कविता को
तलवार की तरह भाँगते हुए
काट डालना चाहते हैं
विषमता को
और वह
जो रोक रहा है
रफ्तार
कविता का
हताशा में डूबकर ।
और कह रहा है
निरर्थक
पूरी कविता को ।
वहीं हम
ले रहे हैं
प्राणवायु
आज के
जलते सवाल से
और बटोर रहे हैं
पूरी आंतरिक मनःस्थिति को
पूर्ण मनोयोग से
अहर्निश ।।

✍️हौशिला प्रसाद अन्वेषी

Visits: 43

Leave a Reply