उपेक्षा का शिकार – सिद्धेश्वर मंदिर ,

थोड़े प्रयास से  ले सकता है पर्यटन स्थल का रूप औरंगाबाद। महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले और शनि शिंगणापुर महामार्ग पर स्थिति प्रवरा-गोदावरी संगम के तट पर स्थित प्राचीन सिद्धेश्वर मंदिर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। मंदिर प्रांगण में तो कुछ चीजें देखने लायक हैं, लेकिन मंदिर के बाहर तो वीरानी छाई हुई है। इस धार्मिक अलौकिक संगम तट को विकसित नहीं किया गया है, जिससे नदी में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यहां सुरक्षा की भी कोई व्यवस्था नहीं है। जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है। नदी तट पर सुरक्षा एंगल भी नहीं लगाये गये हैं। इस पवित्र स्थल पर तीन नदियों गोदावरी, प्रवरा और एक अन्य नदी का संगम है। नदियों का संगम होने के कारण दूर दूर तक जल का मनमोहके नजारा देखा जा सकता है, जो मन को बरबश अपनी ओर आकर्षित करता है। लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते इस स्थल पर लोगों की भीड़ नहीं उमड़ती। सिद्धेश्वर मंदिर के अलावा यहां अन्य कोई दर्शनीय वस्तुओं का निर्माण नहीं कराया गया है। यहां पर पेड़ पौधों से आच्छादित पार्क एवं अन्य सुविधाएं विकसित की जाए तो यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आएंगे। इससे सरकार की तिजोरी में जहां धन की वर्षा होगी, वहीं स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध होंगे। साथ ही इस स्थान का नाम विश्व की धरोहरों में शुमार हो जाएगा। यहां पर्याप्त जमीन है जिसे विकसित किया जा सकता है। सरकार यदि थोड़ा भी ध्यान दे तो यह पर्यटन का रूप ले सकता है। ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री के नेतृत्व में धार्मिक स्थलों का दर्शन करने निकले श्रद्धालु जब सिद्धेश्वर मंदिर पहुंचे, तो यहां की अद्भुत धरोहर शिव मंदिर को देख कर मन भावविभोर हो गया, मगर यहाँ की दुर्दशा को देख कर सभी का मन बहु व्यथित भी हुआ। ज्योतिषाचार्य अतुल शास्त्री, आचार्य नित्यानंद मिश्र, दैनिक नवभारत के ठाणे प्रभारी राकेश पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार एच पी तिवारी एवं शिक्षिका सुमन तिवारी ने संयुक्त रूप से सरकार से इस देव स्थल को विकसित करने की मांग की है ।

औरंगाबाद। महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले और शनि शिंगणापुर महामार्ग पर स्थिति प्रवरा-गोदावरी संगम के तट पर स्थित सिध्देश्वर मंदिर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है। मंदिर प्रांगण में तो कुछ चीजें देखने लायक बची हैं, लेकिन मंदिर के बाहर तो वीरानी छाई हुई है। इस धार्मिक अलौकिक संगम तट को विकसित नहीं किया गया है, जिससे नदी में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यहां पर सुरक्षा की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है। नदी तट पर सुरक्षा एंगल भी नहीं लगाये गये हैं। इस पवित्र स्थल पर तीन नदियों गोदावरी, प्रवरा और एक अन्य नदी का संगम है। नदियों का संगम होने के कारण दूर दूर तक जल का मनमोहके नजारा देखा जा सकता है, जो मन को बरबश अपनी ओर आकर्षित करता है। लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते इस स्थल पर लोगों की भीड़ नहीं उमड़ती। सिद्धेश्वर मंदिर के अलावा यहां अन्य कोई दर्शनीय वस्तुओं का निर्माण नहीं कराया गया है। यहां पर पेड़ पौधों से आच्छादित पार्क एवं अन्य सुविधाएं विकसित की जाए तो यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आएंगे। इससे सरकार की तिजोरी में जहां धन की वर्षा होगी, वहीं स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध होंगे। साथ ही इस स्थान का नाम विश्व की धरोहरों में शुमार हो जाएगा। यहां पर्याप्त जमीन है जिसे विकसित किया जा सकता है। सरकार यदि थोड़ा भी ध्यान दे तो यह पर्यटन का रूप ले सकता है। ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री के नेतृत्व में धार्मिक स्थलों का दर्शन करने निकले श्रद्धालु जब सिद्धेश्वर मंदिर पहुंचे, तो यहां की अद्भुत धरोहर शिव मंदिर को देख कर मन भावभिभोर हो गया, मगर यहाँ की दुर्दशा को देख कर सभी का मन बहु व्यथित भी हुआ। ज्योतिषाचार्य अतुल शास्त्री, आचार्य नित्यानंद मिश्र, दैनिक नवभारत के ठाणे प्रभारी राकेश पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार एच पी तिवारी एवं शिक्षिका सुमन तिवारी ने संयुक्त रूप से सरकार से मांग की है कि इस देव स्थल को विकसित किया जाए।

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