तुलसी विवाह से पा सकते हैं कन्या दान तुल्य पुण्य

वाराणसी। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी को देवोत्थान या देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन तुलसी और भगवान शालिग्राम के विवाह का उत्सव मनाया जाता है।
    इस दिन तुलसी के पौधे का श्रृंगार दुल्हन की तरह कर मंगल गीत गाए जाते हैं। तुलसी विवाह के माध्यम से यह दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और इनका विवाह कराने वाले को कन्या दान के बराबर फल की प्राप्ति होती है।
     ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री मुम्बई का कहना है कि देवउठनी या देवोत्थान एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु चार मास बाद जागते हैं अर्थात इस दिन से चतुर्मास समाप्त होते हैं और तुलसी विवाह के साथ ही सभी शुभ कार्य और विवाह आरंभ हो जाते हैं।
      इस वर्ष देवोत्थान एकादशी 14 नवंबर को  और तुलसी विवाह 15 नवंबर (सोमवार) को किया जायेगा। एकादशी तिथि 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी और द्वादशी तिथि आरंभ होगी। द्वादशी तिथि 16 नवंबर (मंगलवार) को सुबह 08 बजकर 01 मिनट तक रहेगी।
      तुलसी विवाह के पूजन हेतु सर्वप्रथम लकड़ी की एक साफ चौकी पर आसन बिछाकर तुलसी रखें। दूसरी चौकी पर भी आसन बिछाएं और उस पर शालीग्राम को स्थापित करें। उनके समीप एक कलश में जल भरकर रहें और उसमें पांच या फिर सात आम के पत्ते लगाएं। इसके बाद तुलसी के गमले को भली प्रकार से गेरु से रंग दें। अब दोनों के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें और रोली या कुमकुम से तिलक करें। इसके बाद गन्ने से मंडप बनाएं और तुलसी पर लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं। इसके बाद चूड़ी,बिंदी आदि चीजों से तुलसी का श्रंगार करें। इसके पश्चात सावधानी से चौकी समेत शालीग्राम को हाथों में लेकर तुलसी का सात परिक्रमा करनी चाहिए। पूजन के बाद देवी तुलसी व शालीग्राम की आरती करें और उनसे सुख सौभाग्य की कामना करें। पूजा संपन्न होने के पश्चात सभी में प्रसाद वितरीत करें।
तुलसी विवाह का महत्व:
       धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन जो लोग तुलसी विवाह संपन्न करवाते हैं उनके ऊपर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है और उनके जीवन के कष्ट दूर होते हैं। तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषाचार्य पण्डित अतुल शास्त्री जी बताते हैं, हिन्दू धर्म में तुलसी का खास महत्व है तो वहीं इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तुलसी में रोगाणु नाशक व स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं। अगर किसी व्यक्ति को कन्या नहीं है और वह जीवन में कन्या दान का सुख प्राप्त करना चाहता है तो वह तुलसी विवाह कर प्राप्त कर सकता है।

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