आखिर पत्रकार क्यों है असामाजिक तत्वों के निशाने पर

लखनऊ। सच्चाई को समाज तक पहुंचाने के उद्देश्य को लेकर, अपने कर्तव्य को पूर्ण करने के लिए पत्रकार खबरों की तह तक पहुंच कर उसे अपनी लेखनी से धार देता है।
   सच्चाई को उजागर करना एक पत्रकार का काम है और वह उसे बखूबी अंजाम भी देता है। फिर भी कुंठित मानसिकता और आक्रोशित लोगों द्वारा पत्रकार को क्यों निशाना बनाया जाता है, यह यक्ष प्रश्न बनकर समाज और प्रशासन के सामने खड़ा है।
     लखीमपुर में सच्चाई को जनता तक पहुंचाने के उद्देश्य से ही पत्रकार समाचार को कवरेज करने वहां पहुंचे थे लेकिन आक्रोशित लोंगो ने कई पत्रकारों को अपना निशाना बनाया और एक पत्रकार रमन कश्यप को अपने कर्तव्य की कीमत  अपनी जान देकर चुकानी पड़ी, जबकि कई पत्रकार जख्मी हुए। घायलों में अमर उजाला के पत्रकार केके मौर्य व एक अन्य पत्रकार सुरजीत सिंह चन्नी जिनको पिटाई के कारण गंभीर चोटें आई हैं और वह लोग अभी भी गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं।
    इस घटना की सभी पत्रकार संघटनों ने कड़ी निंदा की है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस घटना को स्वतः संज्ञान लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव व डीजीपी से मामले की रिपोर्ट तलब की है।
   पत्रकारों की संस्था जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के पत्रकारों ने मृतक पत्रकार को जगह जगह श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने कहा कि सरकार  शीघ्र आरोपियों को गिरफ्तार कर पत्रकारों को न्याय दे और देश में पत्रकार सुरक्षा कानून को अविलंब लागू करे।
     श्री सक्सेना ने कहा कि एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक है कि पत्रकार निष्पक्ष और निर्भीक होकर अपने कार्य को अंजाम दे। पत्रकार संगठन काफी लंबे समय से देश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग करते आ रहे हैं परन्तु अब तक इस पर कोई कारर्वाई नहीं हुई।
    उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में अब तक तमाम ऐसी घटनाएं हो चुकी है कि सच्चाई को उजागर करने पर पत्रकारों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है, लेकिन सरकार पत्रकारों को लेकर गंभीर नहीं है जो चिंतनीय है।
     संस्था के अध्यक्ष ने एक बार पुन: सभी पत्रकार साथियों से अनुरोध किया कि यदि किसी भी पीड़ित पत्रकार साथी की समस्या उनके संज्ञान में आये तो वह उसे अपने समाचार पत्र पोर्टल व चैनल के माध्यम से उठाने मे संकोच न करें।पीड़ित पत्रकार की समस्या प्रकाशित होते ही उच्च अधिकारियों के संज्ञान में वह स्वत: आ जायेगी और उसका निराकरण हो जायेगा।

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