प्यार वफा रिश्ते नाते सब वादे हैं वादों का क्या ……..

गाजीपुर। यहां वहां मत पूछो कहां कहां और अब जाएं तो जाएं कहां ? कुछ ऐसी ही मन की टीस लिए पीड़ित लोग ग्राम इकाई से लेकर जिला की दहाई तक का चक्कर काटते काटते अन्ततः हारकर बैठ गये हैं।
उनका कहना है कि सुनवाई के नाम पर वही ढाक के तीन पात वाली कहानी अब भी चरितार्थ हो रही है। जन भावनाओं पर खरा उतरने का दावा करने वाली योगी सरकार के जिम्मेदार अधिकारी खुद सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं।
अधिकारियों व कर्मचारियों के मनमानेपन से प्रदेश सरकार द्वारा क्रियान्वित शासन की नीति, अनुशासन मात्र दिखावा साबित हो रहा है।
यह बातें जनपद के मनिहारी विकास खंड के सिखड़ी गांव निवासी परमानंद राय ने कही।उन्होने बताया कि क्षेत्र में छुट्टे निराश्रित पशुओं की दुर्दशा को देखते हुए 30 से 40 बेजुबान जानवरों को अपने दरवाजे पर इकट्ठा करके विगत 2 वर्षों से सरकारी मुलाजिमों के विश्वास में आकर बिना किसी सरकारी सुविधा के चारे पानी का प्रबंध किया है। कहा कि पशुओं की हिफाजत के लिए गौशाला के नाम पर करोड़ों पैसा पानी की तरह बहाकर चहेतों को लाभ पहुंचाने में शासन के अधिकारियों कर्मचारियों ने बखूब गोलमाल किया है। आज भी सड़कों के किनारे सैकड़ों की संख्या में छुट्टा पशु घूम रहे हैं। किसानों की फसल इनसे प्रभावित हो रही है और प्रशासनिक अधिकारी मौन साधे पड़े हैं। अगर सरकार पशुओं के प्रति हमदर्द है तो मेरे यहां इकट्ठा पशुओं के हिफाजत का प्रबंध सरकार क्यों नहीं करती।
गौरतलब है कि भाजपा के जिला प्रभारी मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल के माध्यम से शासन प्रशासन को पशुओं से संबंधित शिकायत जिले के मुख्य विकास अधिकारी से लेकर स्थानीय विकास खंड और लखनऊ काल सेंटर तक किया गया। स्थलीय निरीक्षण भी हुआ परन्तु आज दो वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला। उन्होंने बिना लाग-लपेट के आरोप लगाते हुए कहा कि जब सरकार में मंत्री की बातों का असर नहीं है तो आम जनता की स्थिति का असर कितना होगा।

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