कवि अन्वेषी की नयी रचना

अपना अपना नर्क उठाओ ।
झटपट उसका स्वर्ग बनाओ ।।
लफ्फाजी का बहुत हो गया ।
खुद बोलो खुद से बतियाओ ।।

वह शब्दों से चकित कर रहा ।
उसकी बातों में मत आओ ।।
रोज इंडिया बना रहा है ।
अपना भारत स्वयं बनाओ ।।

मेहनत से उत्पादन लेकर ।
पहले तुम खुद्दारी गाओ ।।
फिर सुविधा की बातें सोचो ।
शोध करो आगे बढ़ जाओ ।।

और प्रकृति से प्यार करो तुम ।
आपस में ही घुल मिल जाओ ।।
जहाँ कहीं भी ज्ञान पड़ा हो ।
दौड़ो धूपो उसे उठाओ ।।

भूखमुक्त भारत का सपना।
तुम भी देखो हमें दिखाओ ।।
मौसम को फलने दो जमकर ।
ए सी ,कूलर दूर हटाओ ।।

मेहनत को ही औषधि समझो ।
और प्यार में सब कुछ पाओ ।।
लेखक कवियों से कहता हूँ ।
सच्चाई को बाहर लाओ ।।
……….अन्वेषी✍️

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