होलिका दहन ! आज जलेगी होली

वाराणसी(उत्तर प्रदेश),09 मार्च 2020। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार रंग पर्व होली हर साल बसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है।
हिन्दुस्तान त्यौहारों का देश है और हर त्योहार का अपना विशेष महत्व होता है। प्रत्येक त्योहार का एक रंग होता है जिसे आनंद या उल्लास कहते हैं। अनेकता में एकता की पुष्टि करनेवाला रंग पर्व होली तो सभी हरे, पीले, लाल, गुलाबी आदि वास्तविक रंगों का त्यौहार है जो पूरी दुनिया में हिंदू धर्म के मानने वाले उत्साह पूर्वक मनाते हैं। होली के त्यौहार में एक तरफ रंगों के माध्यम से संस्कृति के रंग में रंगकर सारी भिन्नताएं मिट जाती हैं और सब बस एक रंग के हो जाते हैं वहीं दूसरी और धार्मिक रूप से भी होली बहुत महत्वपूर्ण हैं। मान्यता है कि इस दिन स्वयं को ही भगवान मान बैठे हरिण्यकशिपु ने भगवान की भक्ति में लीन अपने ही पुत्र प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका के जरिये जिंदा जला देना चाहा था लेकिन भगवान ने भक्त पर अपनी कृपा की और प्रह्लाद के लिये बनाई चिता में स्वयं होलिका जल मरी। इसलिये इस दिन होलिका दहन की परंपरा भी है। होलिका दहन से अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है।
होली का पारम्परिक त्योहार इस वर्ष 09 और 10 मार्च को है। होली के दिन से एक दिन पहले होलिका दहन का विशेष महत्व माना जाता है। होली का त्योहार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका का बुराई के रुप में अंत और भक्त प्रह्लाद के रुप में अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल शुरू होने के बाद होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के लिए तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए। अर्थात फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा हो, रात का समय हो तथा भद्रा बीत चुका हो।
इस प्रकार, भद्रा आज दिन में 12:32 पर समाप्त होगा।पूर्णिमा की तिथि में आज रात
होलिका दहन मुहूर्त- 9 मार्च 2020- 18:22 – 20:49 से पूर्णिमा समाप्ति रात 11:26 तक रहेगा।
कल 10 मार्च 2020 को रंगभरी होली होगी।

     भारतीय ज्योतिष के अनुसार चैत्र शुदी प्रतिपदा के दिन से नववर्ष का भी आरंभ माना जाता है। इस उत्सव के बाद ही चैत्र महीने का आरंभ होता है। अतः यह पर्व नवसंवत का आरंभ तथा वसंतागमन का प्रतीक भी है।  राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है।राग अर्थात संगीत और रंग तो इसके प्रमुख अंग हैं ही, पर इनको उत्कर्ष तक पहुँचाने वाली प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगे यौवन के साथ अपनी चरम अवस्था पर होती है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। होली का त्योहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। खेतों में सरसों खिल उठती है। बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं। किसानों का हृदय ख़ुशी से नाच उठता है। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है।प्रकृति भी मादकता से भरकर मदमस्त हो जाती है। 

मीडिया कवर परिवार द्वारा सभी महानुभावों को रंग पर्व होली की हार्दिक बधाई…🙏🙏🙏🙏🙏

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