कवि हौसला अन्वेषी की रचना – उलझन को सुलझाना होगा ….

उलझन को सुलझाना होगा ।
क्रान्तिगीत अब गाना होगा ।।
जनता का जनवादी दर्शन।
भारत में फैलाना होगा ।।

पूँजीपति सब हड़प रहे हैं।
नेता को समझाना होगा ।।
इधर जागरण मंत्र फूँककर।
सबको साथ जगाना होगा ।।

जाति धर्म मजहब भाषा को।
मन से आज हटाना होगा ।।
एक लक्ष्य हो एक राह हो।
सबको यही सिखाना होगा ।।

गति को समय समय को गति से।
हरदम यहाँ मिलाना होगा ।।
मानवता के हित रक्षण में ।
ताकत हमें लगाना होगा ।।

संघर्षों को प्रबल बनाकर ।
सिंहासन हथियाना होगा ।।
क्रान्ति बीज का नाश न होगा।
बीजमंत्र यह गाना होगा ।।

और किसानों मजदूरों को।
कच्ची नींद जगाना होगा ।।
लेकर आज तिरंगा अपना।
आगे को बढ़ जाना होगा ।।

कवि अन्वेषी

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