“समकालीन वैश्विक परिदृश्य एवं महात्मा गांधी” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

गाजीपुर,24 नवम्बर 2019। राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय एवं हिंदी परिषद द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वीं जयंती वर्ष के अवसर पर “समकालीन वैश्विक परिदृश्य एवं महात्मा गांधी” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती व महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ।इसके पूर्व मुख्य अतिथि डॉक्टर बी पांडेय पूर्व कुलपति जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट, महेंद्र भीष्म साहित्यकार एवं निबंधक, प्रधान न्याय पीठ उच्च न्यायालय, लखनऊ को एनसीसी की छात्राओं ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
मुख्य अतिथि बी पांडेय पूर्व कुलपति चित्रकूट विश्वविद्यालय ने समय प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए गांधीवाद को ऐसा विचार कहा जो सभी जगह फिट बैठता है। गांधी जी का समन्वयवाद, राष्ट्रप्रेम, सर्वधर्म समभाव, अंत्योदय ही उनकी प्रमुख विशेषता है। आपके अनुसार आजादी स्वदेशी, जनकल्याण, अंत्योदय, सर्वोदय का साधन है।
स्वागत भाषण एवं मंचस्थ अतिथियों का परिचय हिंदी परिषद के अध्यक्ष विनय कुमार दुबे तथा विषय प्रवेश डॉ. ओम प्रकाश एसोसिएट प्रोफेसर राजनीति विज्ञान ने कहा कि गांधीजी के एक हाथ छड़ी, घड़ी एवं गीता क्रमश सहारे, समय एवं संस्कार का बोध कराती हैं। बीसवीं सदी में दो लोगों गांधी एवं मार्क्स ने दुनिया को सर्वाधिक प्रभावित किया है। इन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र, शिक्षा, समाज, धर्म, न्याय, सभी विषयों को अपने विचारों से प्रभावित किया है। आपने गांधी के राजनीतिक जीवन एवं दर्शन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2 अक्टूबर को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मान्यता देकर उनकी वैश्विक प्रासंगिकता को स्पष्ट किया।
इस अवसर पर माधव कृष्ण ने गांधी जी के अमरत्व पर एक काव्यांजलि प्रस्तुत किया,तो वाराणसी के डॉ. आकाश ने कहा कि अहिंसात्मक तरीके से आंदोलन चलाने का तरीका गांधी ने पूरी दुनिया को सिखाया।
किन्नर लेखक एवं साहित्यकार महेंद्र भीष्म ने गांधी जी की भजन का उल्लेख करते हुए दूसरों के दुख दर्द को देखने एवं उनकी मदद करने की बात की । आपने हिंदी साहित्य में किन्नर विमर्श को जगह देने की बात की।
गांधी संस्थान वाराणसी के प्रो. दीपक मलिक ने गांधी के राष्ट्रवाद पर प्रकाश डाला। जिस पर आज नए नए किस्म के राष्ट्रवाद का प्रभाव आ गया है। गांधी ने घिसे पिटे शब्दों और प्रतीकों को नया अर्थ देकर उन्हें तत्कालीन सरोकारों से जोड़ा। आप ने गांधीवादी आदर्श और कल्पना को पुनः स्थापित करने की बात की।
इस अवसर पर महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका ‘कीर्ति’ का विमोचन भी हुआ। प्राचार्य डॉ. सविता भारद्वाज ने बापू की 150वीं जयंती पर आयोजित इस संगोष्ठी को महाविद्यालय द्वारा उनके विमर्श के साथ-साथ उनको जीने के एक प्रयास के रूप में भी इसकी सराहना की। उद्घाटन कार्यक्रम का आभार हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. निरंजन कुमार ने तथा संचालन हिंदी परिषद के सचिव डॉ. प्रमोद कुमार अनंग ने किया।
संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह के उपरांत दोनों तकनीकी सत्रो में गांधी के सामाजिक, राजनीतिक दर्शन, धार्मिक समन्वय, राष्ट्रीय एकता, राष्ट्रभाषा, पर्यावरण संरक्षण, अर्थव्यवस्था रामराज की संकल्पना, स्वदेशी आंदोलन, सहकारिता, भारतीय शिक्षा प्रणाली आदि प वक्ताओं ने प्रकाश डाला।द
कार्यक्रम में महाविद्यालय की डॉ. दीप्ति सिंह, डॉ. सत्येंद्र सिंह डॉ. अनिता कुमारी, डॉ. शिव कुमार, डॉ. हरेंद्र यादव, डॉ. संगीता मौर्य, एनसीसी अधिकारी डॉ. शशि कला जायसवाल सहित प्राध्यापक गण व एनसीसी एवं प्रज्ञा रेंजर छात्राएं तथा शोधार्थी एवं विचारक रहे।

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