अयोध्या ! “रामजन्म भूमि प्रकरण” विवादित स्थल पर बनेगा राम मंदिर, मस्जिद के लिए मिलेगी दूसरी जगह जमीन

नई दिल्ली, 09नवम्बर 2019। सर्वोच्च न्यायालय ने पुराने विवादित स्थल अयोध्या के पवित्र राम जन्मभूमि मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया।भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की खंडपीठ ने आज अयोध्या मामले पर ऐतिहासिक फैसला दिया है। उनमें न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल रहे हैं।
अपने ऐतिहासिक निर्णय में शीर्ष अदालत ने विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी है। इसके साथ ही न्यायालय ने सरकार से सुन्नी वक्फ बोर्ड को बाबरी मस्जिद के लिए अयोध्या में कहीं भी पांच एकड़ जमीन देने को कहा है। वहीं,शीर्ष अदालत ने निर्मोही अखाड़ा के सभी दावों को खारिज कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने आज सुबह 10.30 बजे अपना फैसला सुनाना आरम्भ किया। सीजेआई ने कहा बाबर के समय मीर बाकी ने मस्जिद बनवाई थी। 1949 में दो मूर्तियां रखी गई थी। एसआई की खुदाई में 21वीं सदी में मंदिर के साक्ष्य मिले है। सीजेआई ने कहा की खुदाई के साक्ष्यों को अनदेखा नहीं कर सकते हैं। खुदाई में इस्लामिक ढांचे के सबूत नहीं मिले थे और बाबरी मस्जिद समतल स्थान पर नहीं बनाई गई। यह हिंदू स्ट्रक्चर के ऊपर बनाई गई थी।सीजेआई ने कहा है कि एएसाई की खुदाई में जो चीजें मिली हैं उसे हम खारिज नहीं कर सकते हैं। आस्था और विश्वास पर कोई सवाल नहीं है। अंग्रेजों के आने से पहले हिंदू वहां राम चबूतरे और सीता रसोई पर पूजा होती रही थी। सीजेआई ने कहा श्रीराम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था इसमें कोई शक नहीं है। ऐसे में रामलला को कानूनी मान्यता दी जाती है।
सीजेआई ने कहा कि 1856 से 57 तक उस स्थान पर हिंदुओं को पूजा करने से रोका नहीं गया था। सदियों से हिंदुओं द्वारा वहां पूजा किए जाना यह साबित करता है कि उनका विश्वास है उस स्थान पर रामलला विराजमान है। सीजेआई ने कहा कि बाहरी प्रांगण में हिंदू पूजा करते रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 2010 में आया इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला जिसमें जमीन को तीन हिस्सों में बांटा गया था, तार्किक नहीं था। केंद्र सरकार तीन महीने में मंदिर निर्माण की योजना बनाकर रिपोर्ट प्रस्तुत करे। कोर्ट मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह जमीन देने का आदेश देते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन दी जाए।कोर्ट ने कहा कि मन्दिर का निर्माण ‘प्रमुख स्थल’ पर किया जाना चाहिए और सरकार को उस स्थान पर मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित करना चाहिए।
मुस्लिम पक्ष के पैरोकार इकबाल अंसारी ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार इस मामले पर अपना फैसला सुना दिया। मैं कोर्ट के इस फैसले का सम्मान करता हूं।’
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने कहा, ‘हम इस निर्णय पर मशविरा करेंगे कि इस पर रिव्यू फाइल करें कि नहीं। सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का आदर करते हैं और पूरे मुल्क अनुरोध करते हैं कि वो इस जजमेंट को लेकर कोई प्रदर्शन ना करें। निर्णय से हम खुश नहीं नहीं हैं। हम कोर्ट के निर्णय के हर पार्ट की आलोचना नहीं कर रहे हैं लेकिन कुछ पार्ट से हम सहमत नहीं हैं। जजमेंट पढ़कर आगे का फैसला करेंगे।
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या पर अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है। देशवासियों से मेरी अपील है कि शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखें। उन्होंने ट्वीट करते हुए आगे लिखा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कई वजहों से महत्वपूर्ण है: यह बताता है कि किसी विवाद को सुलझाने में कानूनी प्रक्रिया का पालन कितना अहम है। हर पक्ष को अपनी-अपनी दलील रखने के लिए पर्याप्त समय और अवसर दिया गया। न्याय के मंदिर ने दशकों पुराने मामले का सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान कर दिया।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कहा कि वह अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करती है। हम सभी संबंधित पक्षों व सभी समुदायों से निवेदन करते हैं कि भारत के संविधान में स्थापित ‘सर्वधर्म सम्भाव’ और भाईचारे के उच्च मूल्यों को निभाते हुए अमन-चैन का वातावरण बनाए रखें। हर भारतीय की जिम्मेदारी है कि हम सब देश की सदियों पुरानी परस्पर सम्मान और एकता की संस्कृति व परंपरा को जीवंत रखें।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, ‘सभी को शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करना चाहिए। सामाजिक सौहार्द के लिए ये बहुत लाभकारी होगा। इस मामले पर अब आगे कोई विवाद नहीं होगा, ऐसी मैं उम्मीद करता हूं। मेरी सभी से अपील है कि शांति बनाए रखें।’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, शीर्ष अदालत ने एक लैंडमार्क जजमेंट दिया है। मेरी सभी लोगों से अपील है कि शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखें।’
हिंदू महासभा के वकील वरुण कुमार सिन्हा ने कहा- यह एक ऐतिहासिक फैसला है। इस फैसले के साथ, सर्वोच्च न्यायालय ने विविधता में एकता का संदेश दिया है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा- सभी को शीर्ष अदालत का फैसला स्वीकार करना चाहिए और शांति का माहौल बनाए रखा चाहिए।

★अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अंश★
●पीठ ने 5-0 से निर्णय दिया।●

●अयोध्या में विवादित जगह पर मन्दिर बनेगा।
●विवादित जमीन पर ही राम का जन्म हुआ था।
●बाबरी ढांचा हिंदुओं के ढांचे के ऊपर बनाया गया था।
●विवादित जमीन का बंटवारा नही किया जा सकता है।
●मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए अलग 5 एकड़ वैकल्पिक जगह दी जाय।
●एएसआई रिपोर्ट के अनुसार 12 वीं सदी में मन्दिर के प्रमाण मिले।
●खुदाई में इस्लामिक ढांचे के प्रमाण नही मिले।
●मीर बांकी ने बाबरी ढांचा बनवाया था।
● एएसआई की रिपोर्ट शक के परे है।
●अंग्रेजों के पहले से राम चबूतरा और सीता रसोई पर हिन्दू पूजा करते थे।
●ढांचे के नीचे मन्दिर के प्रमाण मिले।
●बाबरी खाली जमीन पर नही बनी थी।नीचे हिन्दुओ का विशाल ढांचा था।
●मुस्लिम पक्षकार अपना दावा सिद्ध नही कर पाए।
●एक ट्रस्ट बनाकर 3 माह में राम मन्दिर बनना प्रारम्भ हो।
●अयोध्या में विवादित जगह राम लला को दी गयी।

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