पहल !निकट भविष्य में नैनो पार्टिकल्स नष्ट करेंगे एचआइवी (एड्स) संक्रमण 

नई दिल्ली, 25 जून 2018। एड्स संक्रमण फैलाने वाले एचआइवी को नष्ट करने की दिशा में शोधकर्ताओं ने काफी सफलता हासिल की है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) और पुणे के नेशनल सेंटर फॉर सेल्स साइंसेज (एनसीसीएस) की संयुक्त शोध में नैनो पार्टिकल्स से 81 फीसद एचआइवी वायरस को मार डालने में कामयाबी मिली है। यह सफलता अभी परखनली परीक्षण में मिली है और शोधकर्ता अभी एड्स वायरस को पूरी तरह नष्ट करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। अभी इस दवा का प्रयोग पशुओं पर क्लीनिकल ट्रायल के रूप में शुरू होगा और कामयाबी मिलने के बाद फिर मानव पर इसका प्रयोग किया जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार एएमयू में तैयार हुए नैनो पार्टिकल्स एएमयू के इंटरडिस्पिलनरी नैनो टेक्नोलोजी सेंटर (आइएनसी) के डॉयरेक्टर प्रो. अबसार अहमद की अगुवाई में टीम ने कवक (फंगस) और कुछ पौधों से नैनो पार्टिकल्स तैयार किए। अब शोधार्थी यह पता लगाने में लगे हुए हैं कि ये पार्टिकल्स किन किन रोगों की दवा बनाने में प्रयोग हो सकते हैं। सोना, चांदी, प्लैटिनम, ऑक्साइड्स, सल्फाइड्स आदि के नैनो पार्टिकल्स भी यहीं से देश के ख्यातिलब्ध पुणे के नेशनल सेंटर फॉर सेल्स साइंसेज ( एनसीसीएस) को भेजे गए थे।
एनसीसीएस में ह्यूमन इम्यूनोडिफिसिएंसी वायरस (एचआइवी) के सफाए पर डेढ़ साल से शोध चल रहा है। प्रो. अबसार अहमद के मुताबिक परखनली में किए गए तमाम प्रयोगों के दौरान नैनो पार्टिकल्स के जरिये 81 फीसद एचआइवी को खत्म करने में कामयाबी मिल चुकी है। यह बहुत बड़ी बात है और इसने एचआइवी के सफाए की बड़ी राह दिखाई है। हालाकि, रिसर्च एक लंबी प्रक्रिया है और इसका लाभ जनता तक पहुंचने में वक्त लगेगा। अभी मानकों की कसौटी पर नैनो पार्टिकल्स की सेफ्टी भी परखेंगे। सुरक्षित मिलने पर सरकार की मंजूरी से दवा का पहले पशुओं और फिर इंसानों में क्लीनिकल ट्रायल करें।प्रो. अबसार का दावा है कि एचआइवी वायरस के खात्मे के लिए नैनो मैटेरियल का पहली बार इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस पर हुए सभी शोध मरीजों की उम्र बढ़ाने की जिद्दोजहद से जुड़े रहे हैं। रोग खत्म नहीं हुआ। हम रोग को खत्म करने पर काम कर रहे हैं। हाइलीएक्टिव एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एचएएआरटी) और बी-वैनम इसी तरह के शोध हैं। इनमें साइड इफेक्ट का अधिक खतरा है जबकी इस नैनो तकनीक का कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
प्रो. अबसार के अनुसार एचआइवी वायरस के ऊपर जीबी120 ग्लाइको प्रोटीन होती है। यह बड़ी तेजी से बढ़ती है। इसका आकार 20 से 25 नैनो मीटर होता है। पुणे की लैब में वैज्ञानिकों ने 20 से 25 नैनो मीटर आकार वाले सर्कुलर नैनो पार्टिकल्स का इस्तेमाल किया। दोनों को पानी भरे ग्लास में डाला गया। जाच में पता चला कि नैनो पार्टीकल्स ने ग्लाइको प्रोटीन को पूरी तरह से कवर कर लिया है और अब ये उसे बढ़ने नहीं दे रहे। सामान्य पानी में डाले ग्लाइको प्रोटीन की ग्रोथ तेजी से होती रही। इस विधि में नैनो पार्टीकल्स को एचआइवी वायरस में किसी भी तरह से इंजेक्ट नहीं किया गया। आज इस शोध पर हमें गर्व है कि हमारे देश के वैज्ञानिक एड्स सफाये पर निश्चित कामयाब होगें और एड्स जैसी भयंकर बिमारी से निकट भविष्य में निजात मिल सकेगी।

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