रेल राज्य मंत्री की शानदार पहल ,मानवीय संवेदनाओं के वशीभूत अपने खर्चे से कराया दिव्यांग महिला की पुत्री का स्कूल में एडमिशन

मानवीय संवेदनाओं के वशीभूत रेल राज्य मंत्री ने अपने खर्चे से कराया बालिका का स्कूल में प्रवेश

गाजीपुर(उत्तर प्रदेश),14 जनवरी 2018। जिस अभागी महिला को क्रूर नियति ने जन्म से दिव्यांग बना दिया और बेरहम पति ने उसे प्रताड़ित कर उसकी जीवन लीला समाप्त करने की कोशिश की,  आज उसे सहारा देने के लिए अपने जिले में ही एक मानव के रुप में महामानव मिल गया। कहने सुनने में यह कहानी भले ही फिल्मी लग रही है पर इसे हकीकत में उतारा है जिले के कद्दावर राजनेता तथा केन्द्रीय राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने।एक दुखीयारी मां और उसकी छोटी पुत्री को न सिर्फ जीने का सहारा दिया बल्कि उस छोटी कन्या को हर सहयोग देकर जीवन में आगे बढ़ाने का साहस भी दिखाया।मां बेटी के  प्रेरणास्रोत बने केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार व रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने उस चार वर्षिया कन्या को न सिर्फ पढ़ने लिखने की प्रेरणा दी बल्कि अपने खर्चे से उसको जिले के मशहूर स्कूल में दाखिला करा उसकी फीस का पैसा भी अपने एकाउंट से जमाकर लोगों के लिए एक मिशाल पेश कर दी। यह किस्सा है शहर के आमघाट में रहने वाली रिंकू यादव का। पच्चीस वर्षिया रिंंकू यादव के दोनों पांव जन्म से ही अक्षम रहे पर इसे उसने अपनी कमजोरी नहीं बनने दी। अपनी लगन और मेहनत के बलवूते वह स्नातक तक पढ़ाई करने के बाद सेंट मेरी स्कूल में कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी शुरू की। उसी दौरान उसकी शादी दस दिसंबर 2012 को दुल्लहपुर क्षेत्र के रेहटी-मालीपुर के उदयप्रताप यादव से हुई। परिवार में रहकर रिंकू एक पुत्री की मां भी बन गई। उसका पति खाड़ी के किसी देश में काम करता था। परिवार कीी आर्थिक स्थिति सुुुदृढ़ बनाने के लिए रिंंकू ने अपने देवर को भी खाड़ी देश भेजने के लिए अपनी कमाई का अस्सी हजार रुपये दे दिया। अपना आशियाना बनाने की सोच रिंकू ने शहर में भुतहिया टांड़ के पास अपने परिचित का रिहायशी प्लाट खरीदने का निर्णय लिया और इसके लिए उसने पांच लाख रुपये ब्याज पर उधार लेकर जमीन खरीद ली। खाड़ी देश से कमा कर लौटने पर पति ने वह जमीन  बेचने के लिए उस पर दबाव बनाने लगा। जब रिंंकू प्लाट बेचने को राजी नहीं हुई तो पति-पत्नी में दूरियां बढ़ने लगीं। हैवान बने पति ने तब एक दिन धारदार हथियार से रिंंकू के गले पर प्रहार किया। रिंकू की चित्कार पर आसपास के लोग मौके पर तत्काल पहुंच उसे बचाया।इससे रिंंकू की जान  बच गयी।लंबे इलाज के बाद रिंकू की हालत तो ठीक हो गई पर उस हमले में बचाव के दौरान उसके बाएं हाथ की अंगुलियां बेकाम हो गईं। रिंकू ने उस मामले में पति पर पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उसके बाद वह पति से सदैव के लिए दूर हो गई। लोगों की बेदर्दी, अपनों की जलालत और वक्त के थपेड़े सहती रिंकू ने जीवन से हार नहीं मानी।हक की लड़ाई के क्रम में एक दिन उसकी मुलाकात संचार एवं रेल राज्यमंत्री के निजी सचिव सिद्धार्थ राय से हुई। उसका दर्द सुन वह उसे हर संभव मदद दिलाने का भरोसा दिया था। उसके बाद वह लंका मैदान में संचार एवं रेल राज्यमंत्री की पहल पर आयोजित दिव्यांग शिविर में रिंकू को बैट्री चालित ट्राई साइकिल दिला उसका दुख कम करने की कोशिश की। अपने निजी सचिव के मुंह से रिंकू की दर्द भरी कहानी सुन श्री सिन्हा ने उसके जीवन के राहों को आसान करनेे का साहसिक निर्णय लिया था। उसी क्रम में आज भाग्य ने पल्टा खाया और उसके जीवन की उम्मीद बनकर देश के संचार एवं रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा एक अभिभावक के रुप में खुद आगे आए हैं। वे रिंकू को जीवन स्तर सुुुधारने हेतु संकल्पित हैं।रिंंकू की चार वर्षिया मासूम बेटी रोहानिका (लाडो) अपनी मां के इस नए मानस पिता को अपना मानने लगी है। श्री सिन्हा चाहते हैं कि यह खूब पढ़े और आगे बढ़ एक  मिशाल बने।इसकेे लिए रविवार को प्रातः प्रोटोकॉल की अनदेखी कर शहर के शाह फ़ैज स्कूल में पहुंचे गये। लाडो के लिए प्रवेश फार्म खरीदा। इसके उपरांत उसकी फीस के लिए अपने बैंक एकाउंट से 21 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। लाडो उन्हें अपने पास पाकर काफी खुश थी। मंत्री जी ने अपने साथ लाए स्कूल बैग, कॉपी-किताब तथा ज्ञानवर्धक खिलौने भेंट कर उसकी खुशी दोगुनी कर दी।यह सब पाकर खुशी मे लाडो के पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। मौके पर मौजूद स्कूल परिवार सहित अन्य सभी श्री सिन्हा के इस नेक काम को सराह रहा था। अब श्री सिन्हा कि  सोच है कि रिंकू स्वरोजगार करे और साथ ही अपनी जैसी दुखियारी महिलाओं को भी रोजगार मुहैया कराए। इसके लिए वह भुतहियाटांड में उसके प्लाट पर सेनेटरी नेपकिन(स्वच्छता पैड) की छोटी फैक्ट्री स्थापित कराने की तैयारी में हैं ताकि वह आत्म निर्भर बन अन्य दिव्यांगों के लिए प्रेरणा स्रोत बने।

 
 

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