स्वेच्छिक यौन कर्म अपराध नहीं, यौनकर्मियों को दी गयी संवैधानिक जानकारीब

गाजीपुर। जनपद न्यायाधीश के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं सेन्टर ऑफ टेक्नॉलॉजी एण्ड इन्टरप्रिनियोरशिप डेवलपमेन्ट के संयुक्त तत्वावधान में यौन कर्मियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने हेतु विधिक साक्षरता कार्यशाला/ शिविर का आयोजन
सम्पन्न हुआ।
सेन्टर ऑफ टेक्नॉलॉजी एण्ड इन्टरप्रिनियोरशिप डेवलपमेन्ट के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में श्रीमती कामायनी दूबे, पूर्णकालिक सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, एम के सिंह डीपीसी, एच के डीपीपीएमसी, प्रदीप कुमार संधिकर्ता, श्रीमती नेहा राय महिला कल्याण अधिकारी, नीरा राय संधिकर्ता, प्रतिमा सिंह आईसीटीसी संधिकर्ता, श्वेता राय एसटीआई संधिकर्ता व स्वर्णलता सिंह आईसीटीसी संधिकर्ता उपस्थित रहे।
सचिव द्वारा बताया गया कि भारत में यौनकृत्य अपने आप में कोई अपराध नहीं है। भारतीय संविधान द्वारा आम नागरिकों/व्यक्तियों को प्रदत्त सभी मूल अधिकार यौन कर्मियों को भी प्राप्त है। यौन कर्मियों को भी उसी प्रकार गरिमामय जीवन जीने का अधिकार प्रदान किया गया है। सामान्य नागरिक की भांति यौन कर्मियों को भी आश्रय का अधिकार, जीविकोपार्जन का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, समूह/संगठन बनाने का अधिकार, अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार, एकान्तता का अधिकार सहित अन्य सभी मानवाधिकार एवं संविधान प्रदत्त मूल अधिकार प्राप्त है। एक यौनकर्मी को भी सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन में इच्छानुरूप कार्य करने की स्वतन्त्रता है। किसी यौनकर्मी को उसकी इच्छा के विरूद्ध सेक्स कार्यो में शामिल किया जाना कानूनी अपराध है और यदि ऐसा होता है तो उसे भी एक सामान्य पीड़िता की तरह कानूनी सहायता लेने का अधिकार है। यदि कोई यौनकर्मी वयस्क है और वह कानूनी एवं सामाजिक नियमों के अन्तर्गत रहकर यौन कार्यो में लिप्त है तो पुलिस किसी भी दशा में हस्तक्षेप नही करेगी, न ही किसी प्रकार की आपराधिक कार्यवाही करेंगी एवं छापेमारी के दौरान न ही इन्हे गिरफ्तार किया जायेगा न ही परेशान किया जायेगा।

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