हिन्दी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ इतिहास है आचार्य शुक्ल का साहित्य

गाजीपुर(उत्तर प्रदेश),2 फरवरी 2018।पंडित रामचरित उपाध्याय स्मृति संस्थान के तत्वाधान एवंं वाणी प्रतिष्ठान रविंद्रपुरी के आयोजकत्व में ‘आचार्य रामचंद्र शुक्ल व छायावाद’ विषयक गोष्ठी स्वामी सहजानन्द सरस्वती स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. मांधाता राय की अध्यक्षता में संपन्न हुई। गोष्ठी को संबोधित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जितेंद्र नाथ पाठक ने कहा कि आचार्य शुक्ल का इतिहास आज भी हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ इतिहास है।उन्होंने पहली बार प्रवृत्ति के आधार पर काल विभाजन कर विभिन्न कालों के साहित्य को उस काल की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि पर प्रतिफलन माना।उन्होंने कहाकि आचार्य शुक्ल का साहित्य आधुनिक काल के विवेचन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। भारतेंदु युग, द्विवेदी युग ,छायावाद युग के समय के साथ कविता की बदलती हुई भावभूमि को परखते हुए उन्होंने हिंदी में सहज स्वच्छंदतावाद के विकास का विवेचन किया है। डॉ.अंबिका प्रसाद पांडेय ने आचार्य शुक्ल के मनोवृत्ति पर निबंधों का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करते हुए उसे मौलिक और कलात्मक माना। डॉ. बालेश्वर विक्रम ने कहा कि आचार्य शुक्ल ने छायावाद की विवेकपूर्ण समीक्षा की।डॉ. समर बहादुर सिंह ने शुक्ल युग को विचारों का द्वंद युग बताया। वरिष्ठ आलोचक एवं गोष्टी के अध्यक्ष डॉ. मांधाता राय ने अपने सम्बोधन में कहा कि आचार्य शुक्ल के नाम से हिंदी आलोचना का शुक्ल युग चलाना उनके व्यापक महत्व का द्योतक है। निराला का तुलसीदास, राम की शक्ति पूजा, सरोज स्मृति उनका महत्वपूर्ण काव्य है।उनके गीतों में स्वर व वाद की मैत्री मिलती है। गोष्ठी में डॉ. एस एन मिश्रा, डॉ. रमाशंकर सिंह, उग्रसेन सिंह, डॉ. उदय प्रताप पांडेय, योगेश पांडेय, प्रमोद कुमार राय आदि उपस्थित रहे। गोष्ठी का समापन कवि अनंत देव पांडेय, दुर्गा तिवारी तथा कामेश्वर दुबे के काव्य पाठ से हुआ। गोष्ठी का सफल संचालन डॉ. गजाधर शर्मा गंगेश ने किया।

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