डीएपी खाद की कमी से किसानों का हो रहा आर्थिक दोहन

गाजीपुर। धान की तैयार फसल के दौरान प्रकृति का कोपभाजन बना निरीह किसान अब अपनी बेबसी और दर्द को भूलाकर गेहूं की बुवाई में जुट गया है। धान की नष्ट हुई फसलों से आर्थिक तंगी झेल रहे अभावग्रस्त किसान गेहूं की बुवाई के लिए खाद के लिए समितियां के चक्कर लगा रहे हैं। किसानों को सहकारी समितियों से जरूरत के मुताबिक डीएपी खाद नहीं मिल पा रहु है। इसके चलते किसानों को खुले बाजार से अधिक मूल्य पर खाद खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। डीएपी की अनुपलब्धता जिले के लगभग सभी सहकारी समितियों पर है। यदि किसी सहकारी समिति पर कुछ मात्रा में उपलब्ध भी है तो वह क्षेत्रीय किसानों की आवश्यकता को पूर्ण करने में सफल नहीं हो पा रही है।


     खाद न मिलने की पीड़ा से त्रस्त किसानों का कहना है कि गेहूं की बुवाई का समय 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक होता है। इस समय बुवाई का बेहतरीन समय चल रहा है, जिसमें बुवाई करने से फसल की पैदावार अच्छी होती है। ऐसे समय में सरकारी दर पर खाद न मिलने से उन्हें खुले बाजार में ऊंची कीमतों पर उर्वरक खरीदना पड़ रहा है।

    सादात से मिली जानकारी के अनुसार, वी पैक्स सादात, बहरियाबाद और किसान सेवा समिति (वी पैक्स) भीमापार जैसी कई समितियों में डीएपी खाद उपलब्ध नहीं है। गेहूं की बुवाई के लिए डीएपी सबसे महत्वपूर्ण उर्वरक माना जाता है। बहरियाबाद के सचिव बाबूराम यादव ने बताया कि बहरियाबाद में यूरिया और डीएपी दोनों ही उपलब्ध नहीं हैं। डीएपी की मांग भेजी गई है। उन्होंने एक-दो दिन में खाद उपलब्ध होने की उम्मीद जताई है। लिख किसानों ने उत्तर प्रदेश सरकार तथा जिला प्रशासन का ध्यान आकृष करते हुए हर समिति पर डीएपी खाद की उचित मात्रा उपलब्ध कराने की मांग की है।

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