यादें ! नहीं रहे मशहूर गीतकार गोपालदास ‘नीरज’

लखनऊ (उत्तर प्रदेश), 19 जुलाई 2018।
हिंदी के मशहूर गीतकार व कवि गोपाल दास नीरज 94 वर्ष ने आज गुरुवार को एम्स में अंतिम सांस ली। काफी दिनों से बीमार गोपालदास नीरज को श्वसन सम्बन्धित तकलीफों के चलते मंगलवार को आगरा अस्पताल में भर्ती कराया गया परन्तु स्थिति और अधिक खराब होने पर उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया ।

उल्लेखनीय है कि 4 जनवरी, 1924 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में पैदा हुए गोपालदास नीरज बॉलीवुड फिल्मों से लेकर मंचीय कवि व हिंदी साहित्य में भी अपनी लेखनी का लोहा मनवाया । इस महान गीतकार को जहां वर्ष 1991 में पद्मश्री सम्मान मिला ,वहीं वर्ष 2007 में पद्मभूषण से भी विभूषित किया गया। यूपी सरकार ने भी उन्हें यशभारती सम्मान दिया तो ‘कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे’ जैसे मशहूर गीत के लेखक नीरज को उनके बेजोड़ गीतों के लिए 1970, 1971, 1972 में फिल्म फेयर पुरस्कार भी प्रदान किया गया था। ‘पहचान’ फिल्म के गीत ‘बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं’ और ‘मेरा नाम जोकर’ के ‘ए भाई! ज़रा देख के चलो’ ने नीरज को कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचाया। उनके एक दर्जन से भी अधिक कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। फिल्मों के लिए उनके लिखे गीतों में – लिखे जो खत तुझे, ऐ भाई.. जरा देखकर चलो, दिल आज शायर है, खिलते हैं गुल यहां, फूलों के रंग से, रंगीला रे! तेरे रंग में और आदमी हूं- आदमी से प्यार करता हूं शामिल हैं। गोपालदास नीरज के निधन पर मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से ट्वीट कर दुख व्यक्त किया गया।

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