कवि गोष्ठी में लगे ठहाके 

गाजीपुर। साहित्य चेतना समाज के तत्वावधान में काव्य-गोष्ठी जंगीपुर के एक मैरेज हाल में सम्पन्न हुई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि द्वय, भारत डायलॉग,नई दिल्ली के संस्थापकद्वय विवेक सत्यमित्रम् व सुश्री पूजा प्रियवंदा, विशिष्ट अतिथि गण-पूर्व चेयरमैन लालजी गुप्ता, पूर्व ब्लाक प्रमुख सुभाष चंद्र गुप्ता, उप चेयरमैन जिला सहकारी बैंक अच्छेलाल गुप्ता, जिलाध्यक्ष भाजपा अ.मो.शैलेश कुमार रहे। 


        कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों  एवं  कवियों द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण-पुष्पार्चन व दीप प्रज्वलन से हुआ। कार्यक्रम के संयोजक विद्युतप्रकाश एवं मित्र मण्डली परिवार के संयोजक राजेश वर्मा ने कवियों एवं अतिथियों को अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिह्न द्वारा अलंकृत किया।

     गोष्ठी का शुभारंभ कवि कामेश्वर द्विवेदी की वाणी-वंदना से हुआ। इसके बाद डाॅ.अक्षय पाण्डेय ने अपना चर्चित नवगीत ” एक पल तू/गीत जैसा मन बना ले सुनाया तो ग़ज़ल-गो कुमार नागेश ने “ना मज़हब कोई/ना कोई कुनबा अपना/अमन की बात पे/अपना ईमान रखते हैं” सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

शायर बादशाह राही ने अपनी ग़ज़ल “वो लोग कर रहे हैं शऊरो अदब की बात/ शोहर बटोरते हैं जो किरदार बेच कर” सुनाकर श्रोताओं की  प्रशंसा अर्जित की। महाकाव्यकार कामेश्वर द्विवेदी की कविता “भेद मिटे मानव-मानव का समता का आधान चाहिए/खण्डित हो दीवार घृणा की दिव्य प्रेम का गान चाहिए” सुनाया तो गीतकार हरिशंकर पाण्डेय ने भोजपुरी गीत “रिश्तन में आगि लागल, स्वारथ बा पग-पग जागल तो वीर रसावतार दिनेशचन्द्र शर्मा ने अपनी कविता “शहीदों के चिराग़ को गुलशन से नहीं बुझने देंगे/स्वतंत्रता की कश्ती को हरगिज़ डूबने नहीं देंगे” प्रस्तुत कर श्रोताओं में जोश भर दिया। शायर हन्टर ग़ाज़ीपुरी ने अपनी हास्य कविता “इस बुढ़ौती में मुहब्बत का मजा क्या आएगा/कुछ नज़र आता नहीं चश्मा उतर जाने के बाद” से श्रोताओं को हॅंसा कर लोटपोट कर दिया। साहित्य चेतना समाज के संस्थापक अमरनाथ तिवारी ‘अमर’, युवा व्यंग्यकार आशुतोष श्रीवास्तव, कवि कन्हैया लाल ‘मुक्त विचारक’ एवं युवा कवि डॉ. शशांक शेखर पाण्डेय के काव्य-पाठ से श्रोता आनन्द-विभोर कर दिया।

     गोष्ठी की अध्यक्षता डा. हरिश्चन्द्र सिंह कुशवाहा एवं संचालन डाॅ.अक्षय पाण्डेय ने किया। 

Views: 51

Advertisements

Leave a Reply