आंतरिक ऊर्जा के विकास का पर्व है नवरात्र 

गाज़ीपुर । शारदीय नवरात्र का पावन पर्व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सभी देवी मन्दिरों में श्रद्धा और विश्वास के साथ आरम्भ हो गया है। मन्दिरों के साथ ही साथ श्रद्धालु जनों द्वारा अपने निवास में भी कलश स्थापना कर पुजन अर्चन का क्रम जारी है। वहीं देवी की प्रतिमा स्थापित करने हेतु पूजा पण्डालों का निर्माण कार्य जोर शोर से जारी है।


जिले के करहिया स्थित मां कामख्या धाम मन्दिर, रेवतीपुर के शीतला माता मंदिर, करीमुद्दीनपुर के कष्टहारिणी माता मन्दिर, बहादुर गंज के चण्डी माता मन्दिर, अमवा के सती माता मन्दिर सहित अन्य मन्दिरों में श्रद्धालु जनों द्वारा प्रातः से ही पूजन अर्चन का कार्य जारी रहा। भक्तिमय देवी गीतों के सुमधुर गायन से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा है।

वहीं प्रसिद्ध सिद्धपीठ हथियाराम मठ में विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी शारदीय नवरात्र महोत्सव का आयोजन परंपरागत ढंग से किया जा रहा है। सिद्धपीठ के 26वें पीठाधिपति एवं जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी श्री भवानी नन्दन यति जी महाराज के संरक्षकत्व में नवरात्रि पर्यंत चलने वाले धार्मिक अनुष्ठान में पाठात्मक शतचण्डी महायज्ञ, हवनात्मक लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के साथ ही विशाल भण्डारा संचालित हो रहा है।

मंदिर परिसर में वृद्धम्बिका माता के धाम व मां सिद्धिदात्री धाम को फूलों, झालर बत्ती से सुसज्जित किया गया है। कर्मकाण्डी वैदिक विद्वजनों द्वारा अनवरत पूजन अर्चन से पूरा परिसर भक्ति मय हो रहा है। हवन कुण्ड में आहुति देने, यज्ञ मण्डप की परिक्रमा करने तथा मठ की अधिष्ठात्री देवी वृद्धम्बिका माता तथा सिद्ध दात्री माता के पूजन अर्चन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।

शारदीय नवरात्र में यहां जिले के अतिरिक्त पूर्वांचल के आजमगढ़, बलिया, वाराणसी, चंदौली, जौनपुर, मऊ सहित महाराष्ट्र, बिहार, उत्तराखंड आदि प्रदेशों से भी भक्तजन मां का दर्शन पूजन करने आते हैं। पूरे नवरात्रि यहां भक्तों का मेला लगा रहता है।

महामण्डलेश्वर स्वामी भवानीनंदन यतिजी महाराज कहते हैं कि नवरात्र में आदि शक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा-आराधना का विधान है। सात्विक विचार के साथ की गयी माता के पूजन से जहां शरीर में नयी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है वहीं मन मस्तिष्क प्रफुल्लित रहता है। उन्होंने कहा कि आदि शक्ति माँ दुर्गा की सच्चे मन से की गयी आराधना कभी निष्फल नही जाती। उन्होंने कहा कि कर्म और धर्म एक दूसरे के पूरक हैं इसलिए कर्म के साथ ही साथ धर्म को भी धारण करना आवश्यक है। ऋषि मुनियों ने आदिकाल से जिस सनातनी परम्परा का निर्वहन किया उसे धारण करने से मानव को इस भवसागर से मुक्ति मिलती है।

इसी क्रम में नवरात्रि के प्रथम दिन गंगा के तटवर्ती क्षेत्र चकेरी धाम स्थित मां दुर्गा मंदिर पर दर्शन,पूजन करने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही।

उल्लेखनीय है कि मंदिर के महंत संत त्रिवेणी दास जी महाराज ने मंदिर का जीर्णोध्दार कराकर लम्बे चौड़े उंचे चबूतरे पर दो दशक पूर्व नौ कुन्तल बजन की भव्य प्रतिमा जयपुर राजस्थान से मंगाकर स्थापित करते हुए विशाल मंदिर का निर्माण कराया। पुजारी संत बालक दास जी महाराज भक्तों के सहयोग में जूटे है। प्रथम दिन सुबह से ही भक्त जन मां गंगा मे हर हर गंगे,मां शेरा वाली की जयघोष के साथ स्नान करने के पश्चात मां भगवती की जयकार के साथ फूल माला नारियल चढ़ाते रहे। पूरा परिसर घंटा,शंख घङियाल व नगारों से गूंज रहा था। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में जो भी भक्त जन मां के समक्ष मत्था टेक कर पूजन,अर्चन करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

 

 

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