“मेरी कविता एक ताकत है”………

“मेरी कविता एक ताकत है”

मेरी कविता वह पीड़ा है,जो उर के भाव सुनाती है।
भारत माँ के हर पल पल का,यह हाल सभी को सुनाती है।।

जब भी मन आहत होता है, मेरी कलम बोलने लगती है।
फिर चाहे जो अंजाम मिले, यह पोल खोलने लगती है।।

अंधे की लाठी से लेकर, अबला का सहारा बनती है।
अंजाम की चिंता न करके, हर पल यह खुलासा करती है।।

भ्रष्टाचारी दूर भागते हैं,सच को यह गले लगाती है।
जब मार्ग रोकता है कोई, रणचंडी यह बन जाती है।।

निर्बल को सबल बनाती है, खोया वैभव लौटाती है।
अरि दल में जब भी घुसती है,विध्वंसक यह बन जाती है।।

मेरी कविता एक ताकत है, ज्वाला की भांति धधकती है।
बन सखा कृष्ण की भांति सदा, अर्जुन को युद्ध जिताती है।।

कभी दूत औऱ कभी मित्र बन, सच का मार्ग दिखाती है।
लेकिन जितने भी पापी हैं,पल पल उनको तड़पाती है।।

कभी सावरकर कभी शिवाजी, कभी कलाम सरीखी है।
पन्ना सा इसमें राज धर्म, क्षत्राणी हाड़ी रानी सी है।।

मर्दानी झांसी रानी सी, और स्वाभिमानी राणा सी है।
शेखर सी दृढ़ संकल्पी तो,निर्भीक वीर भगत सी है।।

मेरी कविता एक ताकत है,जो उर के भाव सुनाती है।
फिर चाहे जो अंजाम मिले, यह तनिक नहीं घबराती है।।

           कवि - अशोक राय वत्स
             रैनी (मऊ) उत्तरप्रदेश

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