छुट्टा पशु !  बने किसानों के जी का जंजाल, प्रदेश सरकार को चुकानी पड़ेगी भारी कीमत

गाजीपुर,। 10 दिसम्बर 2019। कभी सूखा तो कभी बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहे किसान,अब खेतों में छुट्टा निराश्रित पशुओं को लेकर परेशान हैं। प्रकृति की मार झेल रहे किसानों का हाल बेहाल है। प्रदेश सरकार ने छुट्टा पशुओं के रुप में किसानों के सम्मुख नई मुसीबत खड़ी कर रखी है। किसानों का कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं के अतिरिक्त आज हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या छुट्टा निराश्रित पशुओं की है। आज किसी भी गांव में पचासों की संख्या में मौजूद छुट्टा गोवंशीय पशु किसानों की अमूल्य फसलों को समस्याओं को बढ़ा कर उनके सामने आर्थिक समस्याएं पैदा कर रहे हैं। छुट्टा पशुओं के झुंड खेतों में घुसकर फसलों को खाकर और रौंद कर नष्ट कर रहे हैं और किसान चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। रात दिन एक कर किसान अपने खेतों की रखवाली कर रहे हैं फिर भी अधिकांश किसानों के खेतों की फसलों को यह पशु चर कर नष्ट कर रहे हैं। जब एक किसान इन्हें अपने खेतों से बाहर भगाता है तो फिर यह दूसरे के खेत में,फिर वहां से तीसरे के खेत में घुमते हुए पूरी रात और दिन खेतों में दौड़ते रहते हैं। अब देहात से लेकर सड़क के चट्टी चौराहों पर एकत्रित ऐसे पशुओं के झुंड से अब तक अनेकों लोग घायल भी हो चुके हैं। अनेकों गौ पालकों ने अपने बेकार बछड़ा और दूध न देने वाली गायों को भी इन्हीं गुंडों में छोड़ दिया है जिससे इनकी संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। छुट्टा पशुओं की यथोचित व्यवस्था न होने से त्रस्त किसानों ने कहा कि बार-बार सरकार द्वारा ऐसे पशुओं को आश्रय गृह में रखने हेतु आदेश जारी करती है परंतु किसान अब इस लॉलीपॉप से भुलावे में आने वाले नहीं है। एक तरफ जहां पशु झुंडों में आकर किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं,वहीं अधिकारी अपने कानों में तेल डालें मूकदर्शक बने हुए हैं। किसानों का कहना है कि यदि जिला प्रशासन ऐसे निराश्रित पशुओं से छुटकारा दिलाने तथा फसलों के बचाव हेतु यथोचित कार्यवाही नहीं करता है तो सारे किसान भाजपा सरकार के विरुद्ध एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन कर भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कटिबद्ध होंगे। पीड़ित किसानों ने कहा कि हमने भाजपा को अपना बहुमत देकर राहत के उम्मीद की थी परन्तु प्रदेश सरकार के तुगलकी फैसले के चलते किसान बर्बादी के कगार पर आ चुके हैं। यदि समय रहते प्रदेश सरकार यथोचित कार्यवाही नहीं करती है तो आने वाले चुनाव में उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

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