कविता ! “शेर सा दहाड़ता हिन्द चाहिए”
“शेर सा दहाड़ता हिन्द चाहिए”
हर जगह फरेब है, इन्साफ चाहिए।
कलयुग में भी हमें,राम राज्य चाहिए।।
जो मांगते हैं पैसा , हर एक काम का।
उनको भी आज देश में, इन्साफ चाहिए।।
लूटा है जिसने हमको, दशकों से आज तक।
उसी को बार -बार , क्यों साम्राज्य चाहिए।।
नेता के भेष में, कुछ छुपे हैं भेड़िये।
इन भेड़ियों को बस ,रक्त पात चाहिए।।
पढा है जो किताबों में,वो देश है कहाँ?
वो शेर सा दहाड़ता , पूरा हिन्द चाहिए।।
जो हाथ रहे खाली, तो उद्दंड करेंगे।
मिले रोजगार ऐसा , तंत्र चाहिए।।
कब तक लड़ेंगे हम ,यों कौमो के नाम पर।
बिस्मिल सा देशभक्त, और कलाम चाहिए।।
तुलसी के इस देश में ,रहीम भी रहें।
ऐसा ही भरा पूरा ,मुझे हिन्द चाहिए।।
शेखर की देशभक्ति हो,राणा सा देश प्रेम।
कृष्ण भक्ति में डूबा हुआ, रसखान चाहिए।।
न हिन्दू चाहिए न मुसलमान चाहिए।
हर घर में भगत सिंह, और पटेल चाहिए।।
सुनलो पुकार वत्स की, मिल जुल के रहो सब।
वो शेर की सी शक्ल वाला, हिन्द चाहिए।।
रचनाकार – अशोक राय वत्स
रैनी (मऊ) उत्तरप्रदेश
मो नंबर 8619668341
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