प्रकाश पर्व ! दिपावली की हार्दिक बधाई

वाराणसी(उत्तर प्रदेश),27 अक्टूबर 2019। हिन्दू सभ्यता में त्योहारों का महत्वपूर्ण स्थान है और उसमें प्रकाश पर्व दिपावली को विशेष महत्व दिया गया है।यह त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है। इस त्योहार को दीपोत्सव के नाम से भी जाना जा सकता है, क्योकि इस दिन लोग अपने घरो में दीप जलाते है। इस त्योहार को हिन्दू धर्म के लोगो के अलावा इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। वैसे तो हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक कोई भी पूजा बिना दीपक जलाए पूरी नहीं होती और दिपावली दीपकों का ही त्यौहार है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार यह त्योहार असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है।अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र के अपने चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने पर उनके स्वागत में लोगो में अपने घरों में घी के दीये जलाये थे और तब से ये प्रथा आज तक चली आ रही है।

दिपावली प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की सबसे अंधेरी रात अमावस्या को मनायी जाती है।
इस वर्ष दिपावली का पावन पर्व आज 27 अक्टूबर को पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जायेगा। इस वर्ष लगभग 37 साल के बाद महालक्ष्मीजी का महासंयोग बना है, अर्थात दिपावली के दिन सूर्यदेव का दिन, चित्रा नक्षत्र और अमावस्या का संयोग बना है जो अत्यंत शुभ माना गया है।
दिवाली के दिन घर की अच्छी तरह से साफ सफाई करें। विशेषकर मुख्य द्वार को बहुत अच्छी तरह से साफ करें। इसके बाद मुख्य द्वार पर हल्दी का जल छिड़कें। भगवान गणेश को दूब-घास और मां लक्ष्मी को कमल का पुष्प चढ़ाना चाहिए। ये वस्तुएं दोनों देवी-देवता को अत्याधिक प्रिय हैं।
घर के बाहर रंगोली अवश्य बनाएं। रंगोली को शुभ माना जाता है।
लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ समय
प्रदोष काल: शाम 05:28 बजे से 08:10 बजे तक
पूजा के लिए उत्तम समय (वृश्चिक लग्न): 07:30 बजे से 07:35 बजे
उत्तम लाभ के लिए चौघड़िया पूजा समय : 08:36 बजे से निशीथ काल
तथा – 08:10 बजे से 10:52 बजे तक
सुबह 10:30 बजे से लेकर दोपहर 1:30 बजे तक

समस्त सुधि पाठकों को दिपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

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