शहादत दिवस ! परम वीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद, ऐतिहासिक बनाने में जूटा प्रशासनिक अमला

गाजीपुर (उत्तर प्रदेश), 10 सितम्बर 2019। राष्ट्र की रक्षा में अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद के 54वें शहादत दिवस पर उनके पैतृक गांव धामूपुर में स्थित शहीद स्मारक पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन की सम्भावनाओं के मद्देनजर शहीद स्मारक सज धज कर तैयार है। हर साल होने वाले समारोहों से इतर इस बार के समारोह में शहीद की बेवा रसूलन बीबी की कमी खलेगी, जिनका इसी साल गत 2 अगस्त को इंतकाल हो गया था।

बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शहीद स्मारक में शहीद एवं उनकी पत्नी की मूर्ति का अनावरण तथा वहीं बनकर तैयार शहीद वीर अब्दुल हमीद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का लोकार्पण भी करेंगे।
बताते चलें कि आध्यात्मिक, धार्मिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक विरासत संजोये गाजीपुर की उर्वरा धरा ने समय समय पर ऐसे ऐसे लाल पैदा किये हैं, जिन्होंने अपने कर्मों के बल पर नया इतिहास रच दिया है। राष्ट्र की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देकर राष्ट्र की अमर कीर्ति में चार चांद लगाने वालों में परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। जिले के जखनियां तहसील अन्तर्गत दुल्लहपुर थाना क्षेत्र के धामुपुर निवासी 32 वर्षीय शहीद वीर अब्दुल हमीद ने अपने अदम्य साहस से अमेरिका के अजेय पैटन टैंकों को नेस्तनाबूद कर नया इतिहास रचा था।
अब्दुल हमीद ने पिता मु. उस्मान व माता सकीना बेगम के घर एक जून 1933 को जन्म लिया था। इक्कीस वर्ष की उम्र मे वे 27 दिसम्बर 1954 को ग्रेनेडियर इन्फैन्ट्री में भर्ती हुए थे। अपने साहस और तीब्र मेधा के बल पर काश्मीर मे नियुक्ति के दौरान खतरनाक आतंकी इनायत अली को गिरफ्तार कराने के फलस्वरूप सेना के अधिकारियों ने प्रोन्नति देकर लांस नायक बना दिया। पांच वर्षों की सेवा के बाद उन्हें क्वार्टर मास्टर के पद पर तैनाती दी गयी थी। वर्ष 1965 के भारत पाक युद्ध में पाक सेना दस सितम्बर 1965 को अभेद्य अमेरिकी पैटन टैंको से लैस, अमृतसर को अपने कब्जे में करने के नापाक इरादों के साथ बमबारी करती हुई खेमकरन सेक्टर के चिया गांव की ओर बढ़ रही थी। उसी क्षेत्र में मादरे वतन की रक्षा के जज्बे के साथ तैनात अब्दुल हमीद ने पाक सेना के अभेद्य पैटन टैंक को लक्ष्य कर गोले दाग, उनकी बढ़त रोक दी।

गाजीपुर की शहीदी धरती के इस लाल ने तीन पैटन टैंको को अपने गोलों से नेस्तनाबूत कर दिया। अपने अभेद्य टैंकों की दुर्गति देख बौखलाई पाकिस्तानी फौज ने तब अपनी तोपों का मुंह उधर कर दिया जिधर से उनके टैंक को निशाना बनाया जा रहा था। अब्दुल हमीद जब चौथे पैटन टैंक पर निशाना साध रहे थे तभी पाकिस्तानी तोप के निकले गोले से वे शहीद हो गये।
यह घटना भारत के स्वर्णिम इतिहास के सुनहरे पन्नों मे दर्ज है। अपने फौजी साथी अब्दुल हमीद की हिम्मत और जज्बे को देख भारतीय फौज दुगने उत्साह से दुश्मन टीम पर टूट पड़ी फलस्वरूप पाकिस्तानी सेना को वहां से भागना पड़ा। साहस और मंसुबों के धनी इस महावीर को मरणोपरांत 16 सितम्बर 1965 को भारत सरकार ने सेना के सर्वोच्च मेडल “परमवीर चक्र” देने की घोषणा की। गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी 1966 को तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार डा सर्व पल्ली राधा कृष्णन द्वारा उनकी पत्नी रसूलन बीबी को यह सम्मान सौंपा गया।

शहीदों की मजारों पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मरने वालों की यही बाकी निशां होगी

उपरोक्त शेर के अनुरूप ही पंजाब के असल उत्तर में जिस स्थान पर अब्दुल हमीद शहीद हुए थे,वहां बनी उनकी समाधि पर हर साल दस सितम्बर को मेला आयोजित होता है। उनकी याद मे ही पंजाब के खेमकरन सेक्टर मे पैटन नगर बनाया गया है जहां उस वक्त के पैटन टैंक आज भी नुमाइश के तौर पर रखे गये हैं जिसे देखकर उस वीर की शख्सियत जेहन मे उतर आती है।
मरहूम वीर अब्दुल हमीद के शहादत दिवस पर उनके पैतृक गांव में बने शहीद स्मारक पर प्रति वर्ष दस सितम्बर को भव्य समारोह आयोजित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। अभी तक इस शहीद स्मारक पर देश प्रदेश की अनेकों राजनीतिक हस्तियों के साथ साथ सेना के उच्चाधिकारी गण अपना श्रद्धासुमन अर्पित कर अपने को गौरवान्वित कर चुके हैं।

ऐसे जाबांज शहीद को श्रद्धांजलि – डॉ. ए.के.राय

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