उत्पीड़न!  नहीं होगा बर्दाश्त , पत्रकार एकता जिन्दाबाद

गाजीपुर, 05 सितम्बर 2019। जनहित में सत्य को उजागर करना अब पत्रकारों को भारी पड़ने लगा है। पत्रकारिता करना अब और भी जोखिम भरा कार्य होता जा रहा है। आये दिन पत्रकारों पर हो रहे हमले इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। कहीं अपराधिक पृष्ठभूमि के माफिया, गुंडे तो कहीं भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे प्रशासनिक अधिकारी भी अपनी कलई खुलते देख पत्रकारों का उत्पीड़न करने में पीछे नहीं हैं।
ब्रितानी हुकूमत के दौरान तो पत्रकारों को सिर्फ विदेशी हुक्मरानों से बचना होता था,परन्तु आज स्थिति उससे भी जटिल हो गयी है। आज पत्रकारों को गुंडो,मवालियों, अपराधियों तथा माफियाओं के साथ साथ भ्रष्ट नौकरशाहों से भी अपने आप को बचाना पड़ रहा है।
सोचनीय पहलू यह है कि पत्रकारों को संरक्षण और सुरक्षा मुहैया कराने वाले अधिकारी ही जब उनके विरुद्ध अपराधिक मुकदमा दर्ज कराकर उनका उत्पीड़न करने में जुट जाएं तो फिर उनका साथ कौन देगा ?
यही कारण है कि जनहित में प्रकाशित समाचारों को प्रकाशित करने वाले पत्रकार अब अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे माफिया व तथाकथित अधिकारी भी नहीं चाहते कि पत्रकार उनकी कलई खोलकर उनके भ्रष्टाचार को उजागर करें। यही कारण है कि आए दिन पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं और प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी मूक बना हुआ है।
बानगी के रूप में मिर्जापुर जिले के पत्रकार उत्पीड़न के मामले पर गौर करें तो सारी तस्बीर साफ हो जायेगी। कहना है कि जनसंदेश टाइम्स समाचार पत्र के पत्रकार पवन जायसवाल ने 22 अगस्त को मिर्जापुर जिले के जमालपुर विकासखंड के सीउर गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय पर मध्यान भोजन के दौरान नमक रोटी खिलाने का मामला पाया और उसे जनहित में जारी किया। मामला प्रकाश में आते ही बेसिक शिक्षा विभाग तथा सम्बन्धित अधिकारियों में हड़कंप मच गया। मामले की जांच करने पहुंचे अधिकारियों ने मामले को पूरी तरह सही पाया कि उस दिन मध्याह्न भोजन में बच्चों को नमक रोटी ही दी गयी थी। समाचार के उजागर होने पर अपनी कलई खुलते देख बौखलाए अधिकारियों ने इस प्रकरण पर पर्दा डालने और भ्रष्टाचार में डूबे लोगों को बचाने की गरज से, सच्चाई का आईना दिखाने वाले पत्रकार को ही दोषी करार दे दिया। मामले की लीपापोती करते हुए मुख्य विकास अधिकारी प्रियंका निरंजन की जांच रिपोर्ट के आधार पर खंड शिक्षा अधिकारी प्रेमशंकर राम ने 31 अगस्त की रात 9:15 बजे पत्रकार और वहां के प्रधान प्रतिनिधी के विरुद्ध धारा 120 बी, 420 सहित अन्य कई धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराकर प्रताड़ित करने का कार्य किया था।
घटना की वीडियो वायरल होने के बाद मिर्जापुर सहित विभिन्न जिलों के पत्रकार संगठनों द्वारा जब पत्रकार उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग होने लगी तो विभागीय उच्च अधिकारियों में सनसनी फैल गयी। हरकत में आये बेसिक शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव राजेंद्र सिंह ने एमडीएम के जिला समन्वयक रविंद्र मिश्रा पर लापरवाही के आरोप तय करते हुए कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित करने की संस्तुति की। इसी क्रम में एमडीएम के निदेशक विजय किरण आनंद ने जिलाधिकारी मिर्जापुर अनुराग पटेल को 26 अगस्त 2019 को पत्रांक संख्या 1381- 84/ 2019-20 द्वारा मध्यान्ह भोजन योजना के जिला समन्वयक के विरुद्ध कार्यवाही करने के निर्देश जारी किये। उन्होंने इस पत्र की प्रतिलिपि संयुक्त सचिव बेसिक शिक्षा विभाग तथा मुख्य विकास अधिकारी व बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी दी।
पत्रकारों के बढ़ते दबाव के चलते उत्तर प्रदेश कैबिनेट की 03 सितंबर की बैठक में चर्चा हुई और इस मुद्दे पर आयुक्त विंध्याचल व डीआईजी विंध्याचल से विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है।
बताते चलें कि इसी क्रम में भारतीय प्रेस परिषदके अध्यक्ष माननीय जस्टिस चन्द्रमौली कुमार
ने इस मामले को संज्ञान में लिया लिया है।उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश जारी किया है कि सरकार एक निष्पक्ष जांच समिति बनाकर पूरी घटना की निष्पक्षता से जांच कराये।
उपरोक्त तथ्यों से उजागर होता है कि यदि पत्रकारों को सही रुप में कार्य करना होगा तो उन्हें भ्रष्टाचारियों के लगाये आरोपों का डटकर विरोध करना होगा और एकजुट होकर अपनी आवाज को जनजन तक पहुंचाना होगा,तभी सत्यता सामने आयेगी और भ्रष्टाचारियों का नकाब उतरेगा।

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