शीर्ष अदालत ! अयोध्या राम मंदिर मामले की सुनवाई आज से आरम्भ

नयी दिल्ली,06 अगस्त 2019। उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के मसले में आज से सुनवाई आरम्भ हुई।
बताते चलें कि शीर्ष अदालत में इस मामले को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने के प्रयास किया जो विफल रहा। इसके बाद अब इस मामले में रोजाना सुनवाई होगी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा, “चलिए हम सुनवाई शुरू करते हैं।” इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला कर रहे थे।रिपोर्ट पर दो अगस्त को संज्ञान लिया था कि करीब चार महीने तक चली मध्यस्थता की कार्यवाही में कोई अंतिम समाधान नहीं निकला। मामले की बहस शुरू होने पर निर्मोही अखाड़े की तरफ से सुशील जैन ने आंतरिक कोर्ट यार्ड पर मालिकाना हक का दावा किया। उन्होंने कहा कि सैकड़ों वर्षों से इस जमीन और मन्दिर पर अखाड़े का ही अधिकार और कब्ज़ा रहा है, इस अखाड़े के रजिस्ट्रेशन से भी पहले से ही है। निर्मोही अखाड़े की तरफ से कहा गया है कि सदियों पुराने रामलला की सेवा पूजा और मन्दिर प्रबंधन के अधिकार को छीन लिया गया है। निर्मोही अखाड़े ने अदालत को बताया कि 1961 में वक्फ बोर्ड ने इस पर दावा ठोका था। हम वहां पर सदियों से पूजा करते आ रहे हैं, हमारे पुजारी ही प्रबंधन को संभाल रहे थे। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हमारे सामने वहां के स्ट्रक्चर पर स्थिति को साफ करें। चीफ जस्टिस ने पूछा कि वहां पर एंट्री कहां से होती है? सीता रसोई से या फिर हनुमान द्वार से? इसके अलावा CJI ने पूछा कि निर्मोही अखाड़ा कैसे रजिस्टर किया हुआ? निर्मोही आखाड़ा ने उच्चतम न्यायालय में दलील दी कि 1934 से ही किसी मुसलमान को राम जन्मस्थल में प्रवेश की अनुमति नहीं थी और उस पर सिर्फ निर्मोही आखाड़ा का नियंत्रण था। निर्मोही आखाड़ा के वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील जैन ने बताया कि वह क्षेत्र पर नियंत्रण और उसके प्रबंधन का अधिकार चाहते हैं।अखाड़ा के वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि उनका वाद मूलत:वस्तुओं, मालिकाना हक और प्रबंधन अधिकारों के बारे में है। वकील ने कहा, “मैं एक पंजीकृत निकाय हूं। मेरा वाद मूलत: वस्तुओं, मालिकाना हक और प्रबंधन के अधिकारों के संबंध में हैं।”

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