सुपुर्दे खाक! परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद की बेवा रसूलन बीबी हुई कब्रिस्तान में दफन

गाजीपुर(उत्तर प्रदेश),03 अगस्त 2019। परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद की मरहूम बेवा वृद्धा रसूलन बीबी आज नमाजे जनाजा के बाद पैत्रिक गांव धामुपुर के कब्रिस्तान में राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्दे खाक की गयीं। इससे पूर्व उनकी शव यात्रा दुल्लहपुर निवास से आरम्भ होकर पैत्रिक गांव पहुंची थी।

बताते चलें कि बिमारी के बीच कल दोपहर करीब एक बजकर अठारह मिनट पर उनका दुल्लहपुर स्थित आवास पर इंतकाल हो गया था। उनके इंतकाल पर राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित तमाम राजनीतिक हस्तियों, समाजसेवियों व वुद्धिजीवियों ने शोक संवेदना व्यक्त की। कल शाम से लगायत आज सुबह तक उनके निवास पर शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लगा रहा।

मरहूम रसूलन बीबी रुखसत होने से पूर्व अपने किए गये प्रयासों से अमर हो गयीं। उनके प्रयासों के चलते ही उनके पैत्रिक गांव धामुपुर में वर्ष 1999 में वीर अब्दुल हमीद की याद में शहीद स्मारक का निर्माण हुआ था, जहां आज भी प्रति वर्ष वीर अब्दुल हमीद की शहादत दिवस के अवसर पर विभिन्न आयोजनों के द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। रसूलन बीबी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व रेलमंत्री रामविलास पासवान, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह व अखिलेश यादव, मंत्री शिवपाल यादव, आल इंडिया एन्टी टेररिस्ट फोरम के अध्यक्ष एम एस बिट्टा सहित तमाम राजनीतिक हस्तियों ने समय समय पर सम्मानित किया था। दस सितम्बर 2017 को सेनाध्यक्ष विपिन रावत ने भी पैत्रिक गांव स्थित शहीद स्मारक पर पहुंच कर रसुलन बीबी को सम्मानित किया था।
आज उनके शव पर जिलाधिकारी के. बालाजी, पुलिस अधीक्षक डॉ अरविंद चतुर्वेदी, कांग्रेस के वाराणसी के पूर्व विधायक अजय राय,सभासद संजय सिंह, सभासद बापू दादा, कांग्रेस जिलाध्यक्ष गाजीपुर मार्कण्डेय सिंह, विधायक सुनीता सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष भानू प्रताप सिंह,परिक्षीत सिंह,शशिकान्त शर्मा, देवी सिंह,अनिकेत चौहान ,सपा जिलाध्यक्ष नन्हकू यादव,लालजी यादव,अमीर अली,जय किशुन साहू,गोपाल यादव,सहित जनपद के अनेक नेताओ सहित इलाहाबाद के बिग्रेडियर आर पी सिंह ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की।उसके बाद वाराणासी कमांडर एस एम 315 फील्ड रेजिमेंट ,एस एन डी बी सिंह 12 एन सी सी बटालियन गाजीपुर पुष्प चक्र अर्पित कर सलामी दी । उसके बाद 1,50 बजे जनाजे का नमाज अदा की गयी और फिर शव को सुपुर्द ए खाक किया गया।

सेना की ओर से मरहूम रसूलन बीबी की अंत्येष्टि के लिए ब्रिगेडियर आर. पी. सिंह ने एक लाख की धनराशि का चेक उनके पुत्र को प्रदान किया। इस अवसर पर सेना के कर्नल राजेश गुप्ता, जिलाधिकारी के. बालाजी,पुलिस अधीक्षक डा. अरविन्द चतुर्वेदी, एसडीएम जखनियां ,भाजपा जिलाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह विधायक सुनीता सिंह आदि उपस्थित रहे।

उल्लेखनीय है कि जिले की जखनियां तहसील क्षेत्र व दुल्लहपुर थाना क्षेत्र के धामुपुर गांव के निवासी सेना के जवान अब्दुल हमीद ने वर्ष 1965 के भारत पाक युद्ध में पाक सेना के खेमकरन क्षेत्र में बढ़ने पर,अपने जिस अदम्य साहस का परिचय दिया। वह भारत के स्वर्णिम इतिहास के सुनहरे पन्नों मे दर्ज है। दस सितम्बर 1965 को जब अभेद्य अमेरिकी पैटन टैंको से लैस पाकिस्तानी फौज अपने नापाक इरादों के साथ गोले दागते हुए खेमकरन क्षेत्र में आगे बढ़ी तो वहां मौजूद अब्दुल हमीद ने पाक सेना के अभेद्य अमेरिकी पैटन टैंकों को लक्ष्य कर गोले दाग, पैटन टैंकों को नेस्तनाबूद कर दिया। अभेद्य अमेरिकी पैटन टैंकों की मद में चूर पाक फौज पैटन टैंकों की दुर्दशा देख किंकर्तव्यविमूढ़ हो गयी। जब तक वह सम्भलती तब तक गाजीपुर की शहीदी धरती के इस लाल ने तीन पैटन टैंको को बेकार कर दिया। जब वे चौथे पैटन टैंक पर निशाना साध रहे थे तभी दुश्मन तोप के निकले गोले से वे शहीद हो गये। अपने साथी अब्दुल हमीद की हिम्मत को देख भारतीय फौज दुगने उत्साह से दुश्मन टीम पर टूट पड़ी फलस्वरूप पाकिस्तानी सेना को भागना पड़ा। साहस और मंसुबों के धनी इस महावीर को मरणोपरांत 16 सितम्बर 1965 को भारत सरकार ने सेना के सर्वोच्च मेडल “परमवीर चक्र” देने की घोषणा की। गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी 1966 को तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार डा सर्व पल्ली राधा कृष्णन द्वारा उनकी पत्नी रसूलन बीबी को यह सम्मान सौंपा गया था।
  वीर अब्दुल हमीद की शहादत के बाद सरकार ने रसूलन बीबी को पैतृक गांव में 10 बीघा जमीन तथा प्रदेश सरकार ने ₹10000 की आर्थिक मदद दी थी। अब्दुल हमीद के चार पुत्र व एक पुत्री हैं। बड़े पुत्र जैनुल आलम व दूसरे अली हसन भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अली हसन ऑर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्ट्री कानपुर में क्वालिटी कंट्रोल विभाग में परीक्षक रहे जो 2 वर्ष पूर्व ही सेवानिवृत्त हुए हैं और कानपुर के मसवानपुर में परिवार संग रहते हैं। तीसरे पुत्र तलत महमूद घर पर खेती का काम सम्भालते हैं और चौथे जुनेद हसन रेलवे में काम करते हैं।उनकी एक मात्र पुत्री नाजबुल निशां अपनी ससुराल में रहती हैं।देखें

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