निधन ! परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद की बेवा रसूलन बीबी ने तोड़ा दम

गाजीपुर, 02अगस्त 2019। परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद की बेवा वृद्धा रसूलन बीबी ने लम्बी बिमारी के बाद आज दम तोड़ दिया। आज दिन में उन्होंने अपने दुल्लहपुर स्थित आवास पर अंतिम सांस ली।
बताते चलें कि जिले की जखनियां तहसील क्षेत्र व दुल्लहपुर थाना क्षेत्र के धामुपुर गांव के निवासी अब्दुल हमीद ने 1965 के भारत पाक युद्ध में पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे कर दिये थे। उस युद्ध में जब पाक सेना बमबारी करते हुए खेमकरन की ओर बढ़ी तो उसी क्षेत्र में मौजूद अब्दुल हमीद ने पाकिस्तानी फौज को आगे बढ़ने से रोकने मे जिस अदम्य साहस का परिचय दिया वह भारत के स्वर्णिम इतिहास के सुनहरे पन्नों मे दर्ज है। दस सितम्बर 1965 को अभेद्य अमेरिकी पैटन टैंको से लैस पाकिस्तानी फौज अपने नापाक इरादों के साथ गोले बरसाते हुए आगे बढ़ रही थी। पाकिस्तानी फौज के मंसूबों को नेस्तनाबूद करने के लिए वहां मौजूद अब्दुल हमीद ने मादरे वतन की रक्षा के जज्बे के साथ
पाक सेना के अभेद्य अमेरिकी पैटन टैंकों को लक्ष्य कर गोले दागकर पैटन टैंकों की बढ़त रोक दी। किंकर्तव्यविमूढ़ पाक फौज जब तक सम्भलती तब तक गाजीपुर की शहीदी धरती के इस लाल ने एक एक कर तीन पैटन टैंको को अपने गोलों से नेस्तनाबूत कर दिया।

बौखलाई पाकिस्तानी फौज ने तब अपनी तोपों का मुंह उधर कर दिया जिधर से उनके टैंक को निशाना बनाया जा रहा था। अब्दुल हमीद जब चौथे पैटन टैंक पर निशाना साध रहे थे तभी पाकिस्तानी तोप के निकले गोले से वे शहीद हो गये। अपने साथी अब्दुल हमीद की हिम्मत को देख भारतीय फौज दुगने उत्साह से दुश्मन टीम पर टूट पड़ी फलस्वरूप पाकिस्तानी सेना को भागना पड़ा। साहस और मंसुबों के धनी इस महावीर को मरणोपरांत 16 सितम्बर 1965 को भारत सरकार ने सेना के सर्वोच्च मेडल “परमवीर चक्र” देने की घोषणा की। गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी 1966 को तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार डा सर्व पल्ली राधा कृष्णन द्वारा उनकी पत्नी रसूलन बीबी को यह सम्मान सौंपा गया था।

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