निपाह वायरस ! जाने वास्तविकता

नई दिल्ली, 04 जून 2019।निपाह जानवरों से फैलने वाली विषाणु जनित तीव्र संक्रामक बिमारी है। यह जानवर व मनुष्य दोनों में गंभीर बीमारी के रुप में प्रभावित करती है। वायरस का प्राकृतिक होस्ट सुअर तथा चमगादड़ हैं। इसे निफा वायरस, निपा या निपाह वायरस ( Nipah virus)या (NiV) कहते हैं । यह एक ऐसा वायरल इंफेक्शन है जो फ्रूट बैट्स से इंसानों और जानवरों तक पहुंंचता है। 1998 में पहली बार मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह गांव में इसका प्रकोप सुअर पालकों में हुआ था। इसलिए इसका नाम निपाह वायरस पड़ा। यह इंफेक्शन पहले सुअरों में देखा गया और बाद में यह इंसानों तक पहुंच गया। साल 2001 से 2007 तक निपाह वायरस संक्रमण के करीब 71 मामले में सामने आए थे। जिनमें 50 लोगों की मौत हुई थी। ये सभी मामले बांग्लादेश से सटे हुए पश्चिम बंगाल में मिले थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार निपाह वायरस (NiV) तेज़ी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी का कारण है । इसके मामले साल 1998 में मलेशिया और 1999 में सिंगापुर में देखे जा चुके है। ये चमगादड़ से पहले पालतू सुअरों से फैला फिर इससे कई अन्य पालतू पशु जैसे कुत्तों, बिल्लियों, बकरी, घोड़े और भेड़ आदि संक्रमित हो गये। निपाह वायरस (एनआईवी) संक्रमण ज़ूनोटिक बीमारी है यानी की जानवर जनित है। यह वायरस इंसानों के साथ-साथ जानवरों को भी प्रभावित करता है। यह वायरस फ्रूट बैट्स के माध्यम से इंसानों और जानवरों पर आक्रमण करता है। इस वायरस का मुख्‍य स्रोत चमगादड़ है जो फल खाते हैं। ऐसे चमगादड़ों को फ्लाइंग फोक्स के नाम से भी जाना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया में निपाह वायरस के फैलने का खतरा अधिक है।
निपाह के मुख्य लक्षणों में – धुंधला दिखना, चक्कर आना,सिर में लगातार दर्द रहना, सांस में तकलीफ, तेज बुखार तथा श्वसन संस्थान में तेज प्रदाह आदि मुख्य हैं। संक्रमण के बाद बीमारी को बढ़ने से नहीं रोका गया तो 24 से 48 घंटे में मरीज कोमा में जा सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है।
हमारे देश में पिछले वर्ष मई माह में केरल इससे प्रभावित रहा। केरल के कोझीकोड और मालापुरम (मल्लापुरम) जिले में निपाह वायरस से दो सप्ताह के अंदर तकरीबन 11 लोगों की मौत हो गयी थी। पुणे वाइरोलोजी इंस्टीट्यूट ने दो ब्लड सैंपल्स की जांच के बाद उनमें Nipah Virus होने की पुष्टि की थी। कोझीकोड़ के जिलाधिकारी ने निपाह वायरस के चलते 6 लोगों की मौत की पुष्टि की थी। केरल में निपाह वायरस के कारण मृत हुए व्यक्तियों के घर पर स्वास्थ्य अधिकारियों ने पाया कि उनके घर में एक कुंआ था,जिसमें बहुत से चमगादड़ भरे थे। Nipah Virus चमगादड़ों से फैलता है। संक्रमित चमगादड़ों, सुअरों और एनआईवी से ग्रस्त लोगों के साथ सीधे तौर पर संपर्क में आने से एनआईवी इंसानों और जानवरों में फैलता है। यह तीव्र संक्रामक बिमारी सीधे संपर्क, स्‍पर्श या शरीर के द्रवों के सहारे एक से दूसरे तक फैलती है अर्थात यह पीड़ित लोगों के पास जाने या उन्हें छूने से फैलता है इसलिए ऐसे लोगों के लिए विशेष सावधानी की जानी चाहिए। साथ ही साथ इस वायरस से पीड़ित व्यक्ति का इलाज करने वाले चिकित्सक और देखभाल में लगे कर्मचारियों व जांचदल को भी विशेष सावधानियां बरतने की ज़रूरत है। इस वर्ष भी केरल में इसका प्रभाव मिला है जिससे बचने के लिए प्रदेश व केन्द्र सरकार की चिकित्सकीय टीमें पीड़ित की चिकित्सा के साथ ही स्थिति पर नियंत्रण रखने हेतु तत्पर हैं।

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